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‘आजाद की अज्ञातवास की धरती से देशव्यापी आंदोलन शुरू हो’

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ओरछा (टीकमगढ़), 13 मई (आईएएनएस)| आजादी के बलिदानी सेनानी चंद्रशेखर आजाद के अज्ञातवास काटने की गवाह ओरछा के सातार नदी के तट पर रविवार से शुरू हुए दो दिवसीय जन आंदोलन-2018 सम्मेलन के पहले दिन तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समस्याओं के खिलाफ एकजुट होने का नारा बुलंद किया। साथ ही देशव्यापी आंदोलन शुरू करने पर जोर दिया।

सम्मेलन में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि ‘जय जगत’ का नारा मनुष्य और प्रकृति का भला चाहता है। जय जगत, शुभ का द्योतक है, जबकि वैश्वीकरण और उदारीकरण, उद्योगपतियों के हित में काम करता है। दुनिया के एक प्रतिशत लोगों के पास विश्व का 70 प्रतिशत पानी, प्राकृतिक संसाधन, जमीन, धन आदि है, जो निरंतर सामाजिक और प्राकृतिक शोषण को बढ़ावा दे रहे हैं। जय जगत के बगैर बेहतर दुनिया की संकल्पना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का नियंता मनुष्य नहीं है, बल्कि वह सृष्टि का हिस्सा है। आज समाज के सामने शोषण, अतिक्रमण और प्रदूषण की समस्या है। लगातार पड़ते सुखाड़ और अकाल के कारण इन क्षेत्रों का पानी, किसानी और जवानी पलायन कर रहे हैं, जिन्हें बचाने की जरूरत है।

इस अवसर पर एकता परिषद के संस्थापक पी़ वी़ राजगोपालन ने कहा, सरकारी नीतियों के कारण आज देश के ज्यादातर हिस्सों में सुखाड़ और अकाल की स्थितियां पैदा हो गई हैं। सरकारों को सही रास्ते पर लाने का काम जनता का है, जिसके लिए हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से करना होगा।

उन्होंने जन आंदोलन के लिए संगठन बनाने के गुर बताते हुए देश के विभिन्न हिस्सों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं से स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक योजना बनाकर आंदोलन को सफल बनाने पर जोर दिया।

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार ने आम आदमी की समस्याओं के निदान के लिए आंदोलन खड़ा करने की जरूरत पर जोर दिया।

इस अवसर पर ‘जल जन जोड़ो अभियान’ के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में देश में निराशा का माहौल व्याप्त है। विकास के मॉडल लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। जल, जंगल, जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधन उद्योगपतियों को लगातार बेचा जा रहा है, जिन्हें बचाने की जरूरत है।

सम्मेलन के पहले दिन जिल बेन, डॉ़ एस़ क़े राय, डॉ़ रमेश कुमार, डॉ़ मुहम्मद नईम, अमित त्रिपाठी, अरविंद सिंह कछवाहा, वासुदेव गोस्वामी, अजय श्रीवास्तव, संतोष, बलिराम, रामप्रकाश भाई, श्रद्धा, मनीष सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम में बुंदेलखंड, बघेलखंड, चंबल, सागर, ग्वालियर आदि क्षेत्रों के दो सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

बैठक में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों द्वारा जनजागरूकता यात्रा की रणनीति बनाई और यात्रा शुरू करने की तैयारी की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ़ संजय सिंह ने किया।

संजय सिंह ने बताया कि सम्मेलन के दूसरे दिन सामाजिक आंदोलन में सोशल मीडिया की भूमिका, देश में जल और पर्यावरणीय संकट पर चर्चा होगी। इसके साथ मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सामाजिक आंदोलन की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर मंथन किया जाएगा। समापन मौके पर आगामी जन-आंदोलन पर रणनीति बनाने के साथ जिम्मेदारियों को सौंपा जाएगा।

चंद्रशेखर आजाद ने आजादी की लड़ाई के दौरान अज्ञातवास सातार नदी के तट पर काटा था। यह स्थान उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित टीकमगढ़ जिले की धार्मिक नगरी ओरछा में स्थित है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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