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प्रादेशिक

पीएम मोदी के बयान को माकपा ने चुनौती दी

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माकपा

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नई दिल्ली। मार्क्सलवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गुरुवार को आधिकारिक आंकड़े पेश कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए बयान को चुनौती दी। संसद में दिए बयान में मोदी ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल में 34 साल तक वाम मोर्चे के शासन के दौरान राज्य को आर्थिक रूप से काफी क्षति पहुंची। मोदी ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के 34 साल के शासन के बाद अब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को आर्थिक रूप से बर्बाद सत्ता विरासत में मिली है।

माकपा की पत्रिका ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में ससंद में मोदी के वाम विरोधी टिप्पणी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा की उपज कहा है। मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्षी पार्टियों पर विशेष रूप से 1977 से 2011 के दौरान पश्चिम बंगाल में सत्ता में रही माकपा और वाम मोर्चे पर हमला किया था।

माकपा के संपादकीय में कहा गया कि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वाम शासन के आखिरी दौर में औद्योगीकरण के मामले में पश्चिम बंगाल देश में चौथे स्थान तक पहुंच गया था। “इसके मुकाबले गुजरात का विकास मॉडल सातवें स्थान पर ही था।” बड़े और मझोले उद्योगों के संदर्भ में 65,686 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1992 से 2000 के बीच 2,531 नई औद्योगिक इकाइयों से उत्पादन शुरू हुआ। “इससे 2.98 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए, जो अप्रत्यक्ष रोजगार के मुकाबले दोगुने हैं।”

पत्रिका में आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देकर यह भी कहा गया कि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा शासन के तहत मध्यम और छोटे उद्यमों (एमएसई) में सर्वाधिक विस्तार हुआ। एनएसएसओ के मुताबिक, “पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार के तहत 2005 से 20011 के दौरान देश में 40 प्रतिशत से अधिक विनिर्माण रोजगारों का सृजन हुआ।” “देशभर में 58.7 लाख से अधिक विनिर्माण रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ। इस दौरान 24 लाख रोजगार के अवसर पश्चिम बंगाल में थे, जबकि गुजरात में सिर्फ 14.9 लाख रोजगार ही रहे।” संपादकीय में कहा गया कि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार के 34 साल की सत्ता के दौरान देश में सभी राज्यों की तुलना में यह चावल और सब्जियों के उत्पादन में शीर्ष पर रहा।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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