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बिजनेस

8वीं पास हैं तो खोल सकते हैं अपना पोस्ट ऑफिस, हर महीने होगी मोटी कमाई!

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पोस्ट ऑफिस

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नई दिल्‍ली। भारत में वर्तमान समय में पोस्ट ऑफिस की संख्या 1.55 लाख हैं जिनमें से लगभग 89 फीसदी पोस्ट ऑफिस ग्रामीण इलाकों में है। लेकिन कई ऐसे इलाके हैं जहां पोस्ट ऑफिस की भारी मांग है। इन्हीं मांगो को देखते हुए पोस्ट ऑफिस डिपार्टमेंट लोगों पोस्ट ऑफिस फ्रेंचाइजी खोलने का मौका दे रहा है।

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साभार इंटरनेट

इंडिया पोस्‍ट फ्रेंचाइजी स्‍कीम के जरिए पोस्‍ट ऑफिस की कांउटर सर्विस पोस्‍ट ऑफिस के बाहर भी उपलब्‍ध होने की सुविधा देता है। फ्रेंचाइजी को चीजों की डिलीवरी और ट्रांसमिशन डिपार्टमेंट ही करता है। इस स्‍कीम के तहत लोगों तक तो आसानी से पोस्‍ट ऑफिस सर्विस व प्रोडक्‍ट पहुंचते ही हैं, साथ ही फ्रेंचाइजी लेने वाले को भी एक अच्‍छी आय कमाने का मौका मिलता है। आइए आपको बताते हैं कि कोई नागरिक कैसे पोस्‍ट ऑफिस फ्रेंचाइजी ले सकता है और किस सर्विस पर उसे कितना कमीशन प्राप्‍त होता है।

 

मिलते हैं ये सर्विस व प्रोडक्‍ट

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  1. स्‍टांप और स्‍टेशनरी
    2. रजिस्‍टर्ड आर्टिकल्‍स, स्‍पीड पोस्‍ट आर्टिकल्‍स, मनी ऑर्डर की बुकिंग। हालांकि 100 रुपए से कम का मनी ऑर्डर नहीं होगा बुक
    3. पोस्‍टल लाइफ इंश्‍योरेंस (PLI) के लिए एजेंट की तरह करेगा काम, साथ ही इससे जुड़ी ऑफ्टर सेल सर्विस जैसे प्रीमियम का कलेक्‍शन भी कराएगा उपलब्‍ध
    4. बिल/टैक्‍स/जुर्माने का कलेक्‍शन और पेमेंट जैसी रिटेल सर्विस
    5. ई-गवर्नेंस और सिटीजन सेंट्रिक सर्विस
    6. ऐसे प्रोडक्‍ट्स की मार्केटिंग, जिसके लिए डिपार्टमेंट ने कारपोरेट एजेंसी हायर की हुई हो या टाई-अप किया हुआ हो। साथ ही इससे जुड़ी सेवाएं।
    7. भविष्‍य में डिपार्टमेंट द्वारा पेश की जाने वाली सर्विस

 

पोस्‍ट ऑफिस की फ्रेंचाइजी के लिए जरुरी बातें

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साभार इंटरनेट

  1. कोई भी व्यक्ति, इंस्‍टीट्यूशंस, ऑर्गेनाइजेशंस या अन्‍य एंटिटीज जैसे कॉर्नर शॉप, पानवाले, किराने वाले, स्‍टेशनरी शॉप, स्‍मॉल शॉपकीपर आदि पोस्‍ट ऑफिस फ्रेंचाइजी ले सकते हैं।
    इसके अलावा नई शुरू होने वाली शहरी टाउनशिप, स्‍पेशल इकोनॉमिक जोन, नए शुरू होने वाले इंडस्ट्रियल सेंटर, कॉलेज, पॉलिटेक्निक्‍स, यूनिवर्सिटीज, प्रोफेशनल कॉलेज आदि भी फ्रेंचाइजी का काम ले सकते हैं। फ्रेंचाइजी लेने के लिए फॉर्म सबमिट करना होता है। सिलेक्‍ट हुए लोगों को डिपार्टमेंट के साथ एमओयू साइन करना होगा।
    3.  व्यक्ति की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए।
    4.  उसे कम से कम 8वीं पास होना चाहिए।
    5.  फॉर्म व अधिक जानकारी https://www.indiapost.gov.in/VAS/DOP_PDFFiles/Franchise.pdf से ली जा सकती है।

 

सिलेक्‍शन प्रोसेस

फ्रेंचाइजी लेने वाले का सिलेक्‍शन सबंधित डिवीजनल हेड द्वारा किया जाता है, जो एप्‍लीकेशन मिलने के 14 दिनों अंदर ASP /sDl की रिपोर्ट पर आधारित होता है। यह जान लेना जरूरी है कि फ्रेंचाइजी खोलने की परमीशन ऐसी ग्राम पंचायतों में नहीं मिलती है, जहां पंचायत संचार सेवा योजना स्‍कीम के तहत पंचायत संचार सेवा केन्‍द्र मौजूद हैं।

 

ये लोग नहीं ले सकते फ्रेंचाइजी

पोस्‍ट ऑफिस इंप्‍लॉइज के परिवार के सदस्‍य उसी डिवीजन में फ्रेंचाइजी नहीं ले सकते, जहां वह इंप्‍लॉई काम कर रहे हैं। परिवार के सदस्‍यों में इंप्‍लॉई की पत्‍नी, सगे व सौतेले बच्‍चे और ऐसे लोग जो पोस्‍टल इंप्‍लॉई पर निर्भर हों या उनके साथ ही रहते हों, फ्रेंचाइजी ले सकते हैं।

इतनी है सिक्‍योरिटी डिपॉजिट की रकम

पोस्‍ट ऑफिस फ्रेंचाइजी लेने के लिए मिनिमम सिक्‍योरिटी डिपॉजिट 5000 रुपए है। यह फ्रेंचाइजी द्वारा एक दिन में किए जाने वाले फाइनेंशियल ट्रान्‍जेक्‍शंस के संभावित अधिकतम स्‍तर पर आधारित है। बाद में यह एवरेज डेली रेवेन्‍यू के आधार पर बढ़ जाता है। सिक्‍योरिटी डिपॉजिट NSC की फॉर्म में लिया जाता है।

 

ऐसे होगी कमाई

फ्रेंचाइजी की कमाई उनके द्वारा दी जाने वाली पोस्‍टल सर्विसेज पर मिलने वाले कमीशन द्वारा होती है। यह कमीशन एमओयू में तय होता है।

 

सर्विस व प्रोडक्‍ट पर इतना है कमीशन

  1. रजिस्‍टर्ड आर्टिकल्‍स की बुकिंग पर 3 रुपए
  2. स्‍पीड पोस्‍ट आर्टिकल्‍स की बुकिंग पर 5 रुपए
  3. 100 से 200 रुपए के मनी ऑर्डर की बुकिंग पर 50 रुपए, 200 रुपए से ज्‍यादा के मनी ऑर्डर पर 5 रुपए
  4. हर माह रजिस्‍ट्री और स्‍पीड पोस्‍ट के 1000 से ज्‍यादा आर्टिकल्‍स की बुकिंग पर 20 फीसदी अतिरिक्‍त कमीशन
  5. पोस्‍टेज स्‍टांप, पोस्‍टल स्‍टेशनरी और मनी ऑर्डर फॉर्म की बिक्री पर सेल अमाउंट का 5 फीसदी
  6. रेवेन्‍यू स्‍टांप, सेंट्रल रिक्रूटमेंट फी स्‍टांप्‍स आदि की बिक्री समेत रिटेल सर्विसेज पर पोस्‍टल डिपार्टमेंट को हुई कमाई का 40 फीसदी

 

मिलती है ट्रेनिंग और अवॉर्ड

जिनका सेलेक्शन फ्रेंचाइजी के लिए हो जाएगा, उन्‍हें पोस्टल डिपार्टमेंट की तरफ से ट्रेनिंग भी मिलेगी। ट्रेनिंग इलाके के सब-डिविजनल इंसपेक्टर द्वारा दी जाएगी।
इसके अलावा जो फ्रेंचाइजी प्‍वॉइंट ऑफ सेल्स सॉफ्टवेयर का यूज करेंगे, उन्हें बार कोड स्टिकर भी मिलेगा।
अच्‍छा परफॉर्म करने वाली फ्रेंचाइजी आउटलेट को अवॉर्ड भी दिया जाएगा। सालाना अवॉर्ड के लिए संबंधित सर्किल हेड प्रावधान बनाएंगे।

 

ऐसे जारी रख सकते हैं फ्रेंचाइजी

पोस्‍ट ऑफिस की फ्रेंचाइजी मेट्रो शहरों से लेकर गांव तक में खोली जा सकती है। फ्रेंचाइजी के लिए हर माह 50,000 रुपए का मिनिमम रेवेन्‍यू जनरेशन अनिवार्य है, साथ ही इसका निकट के अन्‍य पोस्‍ट ऑफिस पर निगेटिव इंपैक्‍ट नहीं पड़ना चाहिए। यह रेवेन्‍यू सर्विसेज की रेंज, लोकेशन, संभावित रेवेन्‍यू इन्‍वेस्‍टमेंट, लागत आदि पर निर्भर करेगा। फ्रेंचाइजी को आगे भी जारी रखने का फैसला रिव्‍यू के आधार पर होता है। डिपार्टमेंट द्वारा पहला रिव्‍यू फ्रेंचाइजी खुलने के 6 महीने बाद किया जाता है और इसके आगे जारी रहने का फैसला अगले 6 महीनों बाद यानी पूरे एक साल बाद होता है। इसके अलावा हर माह भी फ्रेंचाइजी का जायजा लिया जाता है।

 

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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