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पंजाब, हरियाणा में कपास का रकबा पिछले साल से कम रहने की संभावना

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नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)| उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक प्रदेश पंजाब और हरियाणा में कपास की बिजाई पिछले साल के मुकाबले सुस्त चल रही है। दोनों प्रदेशों में इस साल नहरों में पानी देर से आने के कारण कपास का रकबा कम रहने की संभावना है।

पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मुताबिक प्रदेश में चालू बिजाई सीजन 2018-19 में कपास का रकबा 3.25 लाख हेक्टेयर तक रह सकता है।

हालांकि सरकार ने चालू सीजन में कपास की खेती चार लाख हेक्टेयर में करने का लक्ष्य रखा है।

पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक जसबीर सिंह बेंस ने आईएएनएस को बताया कि 22 मई तक प्रदेश में 2.42 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई हो चुकी थी। यह पिछले साल की समान अवधि के रकबे 2.80 लाख हेक्टेयर से 13.57 फीसदी कम है जबकि लक्ष्य करीब 61 फीसदी ही हासिल हो पाया है।

हरियाणा में कपास की बिजाई पंजाब के मुकाबले थोड़ी तेज हुई है। हरियाणा में 22 मई 2018 तक कपास का रकबा 4.97 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया जोकि लक्ष्य का 76.6 फीसदी है। यह पिछले साल से कम है क्योंकि पिछले साल प्रदेश में अब तक 5.33 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हो चुकी थी। हरियाणा में इस साल 6.48 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती का लक्ष्य रखा गया है।

पंजाब के कृषि निदेशक ने बताया कि प्रदेश में कपास की बिजाई इस साल देर से शुरू हुई है क्योंकि नहरों पानी देर से छोड़ा गया।

उन्होंने बताया, प्रदेश में कपास की बिजाई 15 अप्रैल से ही शुरू हुई जाती है मगर इस साल नहरों में काफी देर से पानी छोड़ा गया जिससे बिजाई में देर हुई। प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में नहरों में 28 अप्रैल को पानी आया जिसके बाद कपास की बिजाई में तेजी आई है।

हरियाणा के संय़ुक्त कृषि निदेशक (कपास) आर. पी. सिहाग ने आईएएनएस को बताया कि उत्तर भारत में कपास की बिजाई के लिए 15 अप्रैल से 15 मई तक के समय को बेहतर माना जाता है। इन इलाकों में आमतौर पर जुलाई में कपास की फसल पर सफेद मक्खी (ह्वाइट) का प्रकोप बना रहता है ऐसे में अगर जल्दी बिजाई हो जाती है तो पौधा मजबूत हो जाता है तो सफेद मक्खी का खतरा कम हो जाता है।

उन्होंने कहा, 15 अप्रैल से 15 मई के बीच कपास की बिजाई के लिए आदर्श समय है। इस दौरान बिजाई होने पर पौधा मजबूत हो जाता है जिसपर रोग का खतरा कम होता है।

उन्होंने कहा कि मगर देर से बिजाई होने पर पौधा कमजोर रहता है जिसपर सफेद मक्खी का खतरा बना रहता है।

सिहाग ने कहा कि पिछले दिनों हुई बारिश के बाद जमीन में नमी हो गई है और बिजाई में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि कपास का रकबा सामान्य के करीब रहने की उम्मीद है मगर पिछले साल के मुकाबले घट सकता है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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