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प्रादेशिक

जम्मू एवं कश्मीर झंडा विवाद अज्ञानता का परिचायक : विशेषज्ञ

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जम्मू| जम्मू एवं कश्मीर सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी कार्यालयों, इमारतों व वाहनों पर राज्य का झंडा फहराने को अनिवार्य करने के फैसले को संवैधानिक तथा कानूनी विशेषज्ञों ने शनिवार को हास्यास्पद करार दिया। उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय में संवैधानिक मामलों के जम्मू एवं कश्मीर के वकील जफर शाह ने आईएएनएस से कहा, “राज्य के झंडे को लेकर जो भी विवाद पैदा हुआ है, वह अज्ञानता का परिचायक है और इसका कारण शायद जानकारी की कमी है।”

उन्होंने कहा, “जम्मू में मुख्यमंत्री, राज्य के मुख्य न्यायाधीश तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सहित समस्त संवैधानिक अधिकारी, कार्यालय व मंत्रिपरिषद के सदस्य जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के तहत शपथ ग्रहण करते हैं।”

जफर ने कहा, “ये कार्यालय/अधिकारी राज्य के झंडे को सम्मान व आदर देने को संवैधानिक रूप से बाध्य हैं, क्योंकि यह राज्य के संविधान में निहित है।”

उन्होंने कहा, “झंडे को सम्मान देने के लिए कोई आदेश जारी करने या उसे वापस लेने से राज्य के झंडे की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर का संविधान इसे सुनिश्चित करता है।”

जफर ने कहा, “इसलिए, जम्मू एवं कश्मीर के झंडे को सम्मान देने के लिए शासकीय आदेश जारी करने या वापस लेने की बात करना केवल अज्ञानता है, क्योंकि यह संविधान में ही निहित है।”

उल्लेखनीय है कि सरकार ने शुक्रवार को राज्य के ध्वज से संबंधित अपना वह शासकीय आदेश वापस ले लिया, जिसे गुरुवार को जारी किया था।

जम्मू एवं कश्मीर देश का इकलौता राज्य है, जिसका अपना संविधान है। यहां तिरंगे के साथ राज्य का झंडा भी फहराया जाता है।

राज्य सरकार ने गुरुवार को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसके मुताबिक राज्य सरकार के सभी अधिकारियों को अपनी गाड़ियों, कार्यालयों तथा इमारतों पर तिरंगे के साथ राज्य का झंडा लगाने का निर्देश जारी किया गया था।

बाद में यह कहकर इस सर्कुलर को वापस ले लिया गया कि इसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था।

इस सर्कुलर को वापस लिए जाने के बाद सरकार की खासी किरकिरी हुई। विरोधियों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को यह फैसला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव के कारण लेना पड़ा।

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मुफ्ती सईद जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे की शुचिता की रक्षा करने में अक्षम हैं, इसलिए अफ्स्पा या अनुच्छेद 370 पर उनसे कुछ भी उम्मीद करना बेकार होगा।”

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के प्रयासों से दिव्य, भव्य अयोध्या में फिर से लौटने लगा ‘राम राज्य’

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अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों से दिव्य और भव्य अयोध्या में एक बार फिर से रामराज्य लौटने लगा है। इसे भवगान श्रीराम की विशेष कृपा ही कहेंगे कि अयोध्या में ऑनलाइन की जाने वाली शिकायतों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से निस्तारण हो रहा है। हर शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आई एक अक्टूबर की रिपोर्ट बता रही है, जिसमें जिले के 19 में से 18 थाने प्रदेश में पहली रैंक पर आए हैं। इसमें कोतवाली नगर टॉप पर है।

जनपद पुलिस ने आईजीआरएस यानि एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पोर्टल पर ऑनलाइन आने वाली जन शिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण में पहली रैंक प्राप्त की है। पिछले कई महीनों बाद यह मौका आया है, जब अयोध्या पुलिस को यह सफलता मिली है। एसएसपी ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले थानेदारों को सराहते हुए फेहरिस्त में निचले पायदान पर मौजूद थाने को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया है। प्रदेश सरकार ने जनता की शिकायतों के निस्तारण के लिए आईजीआरएस पोर्टल की व्यवस्था तैयार की है। नियमानुसार, इस पोर्टल पर आने वाली ऑनलाइन शिकायत का 30 दिन के भीतर गुणवत्तापरक तरीके से निस्तारण करना होता है। समय समय पर इन शिकायतों से जुड़ा फीडबैक लखनऊ में बैठे आला अफसर लेते हैं। डिफाल्टर या असंतोष की स्थिति में शिकायतों को वापस लौटाया जाता है, ताकि उनका निस्तारण हो सके। जनपद में अक्टूबर माह में 19 थानों में तकरीबन 2700 शिकायतें आईजीआरएस पर हुई हैं। 100 फीसदी शिकायतों का निस्तारण हो चुका है।

नगर कोतवाली नंबर वन

एसपी ग्रामीण बलवंत चौधरी ने बताया कि आईजीआरएस के पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण के मामले में कोतवाली नगर ने बाजी मारी है। इसके बाद सर्वाधिक शिकायतों को हल कर दूसरे नम्बर पर स्थान बनाने वाला थाना इनायतनगर है। बताया जाता है कि पुलिस में आई सभी ऑनलाइन शिकायतों के निस्तारण के लिए एक दारोगा मौके पर अवश्य जाता है। वहां से जीपीएस की तस्वीरें आती हैं, जिससे पता चलता है मामले को निपटाने में पुलिस दिलचस्पी दिखाती है।

रैंक वार थाना – प्राप्त शिकायतें व निस्तारण

1- कोतवाली नगर- 354
2- इनायतनगर- 297
3- अयोध्या कोतवाली- 272
4- कोतवाली बीकापुर- 243
5- महराजगंज- 241
6- रौनाही- 227
7- रुदौली- 209
8- गोसाईगंज- 160
9- तारुन- 156
10- खंडासा- 140
11- हैदरगंज- 133
12- कैंट- 112
13- कुमारगंज- 89
14- रामजन्मभूमि- 85
15- पटरंगा- 66
16- बाबा बाजार- 61
17- मवई- 59
18- थाना महिला- 48
19- पूराकलंदर- 324

नोट- थाना पूराकलंदर ने ऑनलाइन शिकायत पत्र देखने में देरी लगाई। इस कारण उसकी रैंक बहुत गिर गई है।

क्‍या है आइजीआरएस

एसएसपी राजकरण नैयर ने बताया कि आईजीआरएस जनसुनवाई के लिये एक आनलाइन माध्यम है। इस माध्यम से किसी भी व्यक्ति को शिकायत करने के लिये कहीं चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है‌। पीड़ित व्यक्ति इसके पोर्टल पर आनलाइन शिकयत दर्ज कराता है। संबंधित विभाग उसकी जांच कराकर निस्तारण कराने का प्रयास करता है। इस माध्यम से दर्ज कराई गई शिकायत पर जवाबदेही भी रहती है। शिकायत की हर स्थित से शिकायतकर्ता को जानकारी भी मिलती है।

प्रत्‍येक माह होती है शासन स्‍तर पर समीक्षा

आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि जनसुनवाई के इस पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायतों के निस्तारण की प्रत्येक माह शासन स्तर पर समीक्षा होती है। आईजीआरएस पर दर्ज कराई गई शिकायतों के निस्तारण का फीडबैक लेते हुए शासन के मानकों के हिसाब से पीड़ित संतुष्ट है या असंतुष्ट, इसकी समीक्षा करके रैंक जारी की जाती है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी अयोध्या के सभी थाने हमेशा अग्रणी रहें।

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