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विश्व साइकिल दिवस पर 2 रुपए में साइकिल लीजिए और फुर्र से उड़ जाइए

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आज विश्व साइकिल दिवस #WorldBicycleDay (3 जून 2018) है। भारत सहित पूरे विश्व में बड़े जोशखरोश के साथ विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। आज के दिन लखनऊ नगर निगम के केंद्रों पर जाइए, एक ऐप डाडनलोड कीजीए, और दो रुपए पेटीएम जमा कराइए और फुर्र से उड़ जाइए और विश्व साइकिल दिवस का आनन्द लीजिए।

उत्तर प्रदेश में लखनऊ नगर निगम ने लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से एक नई पहल 20 अप्रैल को शुरू की थी। इसमें लखनऊ नगर निगम जनता को महज दो रुपए के किराए पर साइकिल उपलब्ध करती है। साइकिलप्रेमियों या जरूरतमंदों को इसके लिए लखनऊ नगर निगम का एक ऐप ‘जूमकार ऐप’ https://pedl.zoomcar.com/ डाउनलोड करना होगा। फिर साइकिल आपके हाथों में आ जाएगी। पर ध्यान रखें इसका किराया है एक घंटे के लिए महज दो रुपए।

लखनऊ नगर निगम के एक बड़े अफसर ने बताया कि निगम से उपलब्ध साइकिल जीपीएस तकनीक से लैस होगी। इसका भुगतान पेटीएम से किया जा सकेगा।

लखनऊ नगर निगम से जुड़े पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि, पहले चरण में 12 स्थानों पर यह सेवा उपलब्ध होगी। चयनित स्थानों में मुख्यतौर पर जनेश्वर मिश्र पार्क, ग्वारी चौराहा, पत्रकारपुरम, हुसड़िया चौराहा, हनीमैन चौराहा, सिंगापुर मॉल शामिल हैं। साइकिल का लॉक भी कोड से संचालित होगा। लोगों को इस योजना से जोड़ने के लिए किराया महज दो रूपया रखा गया है लेकिन बाद में इसे 20 रुपए तक बढ़ाया जाएगा।

अपर नगर आयुक्त पी.के. श्रीवास्तव ने (20 अप्रैल 2018) बताया कि यह सेवा 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। जीपीएस से लैस होने और कोड की व्यवस्था होने की वजह से इसमें मैनपॉवर की भी जरूरत नही होगी। साइकिल को शहर में कहीं भी ले जाने की अनुमति होगी हालांकि इसे वापस इसे तय स्थान पर ही खड़ा करना होगा।

उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में कुछ जगहों पर ही इसकी पार्किंग की व्यवस्था की गई है बाद में इसे और बढ़ाया जाएगा। (इनपुट आईएएनएस)

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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