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एक छोटी दवा कंपनी के रूप में हुई थी शुरुआत, आज है विश्व का टॉप ब्राण्ड, जानिए dabur का पूरा इतिहास

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घर में कोई भी सामान खरीदने के पहले हम लोग उस सामान की विश्वसनीयता के बारे में एक बार जानना जरूर चाहते है। सामान के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही हम उस को सामान को आंख बंद करके खरीदते है। आपको याद होगा बचपन में इस ब्रांड का सामान आपके घर भी जरूर आता होगा।

घर के सभी लोगों के लिए इस ब्रांड में सामान उपलब्ध है, फिर वो बच्चा हो या फिर बुजुर्ग। इस ब्रांड का नाम है, डाबर। आपको शायद ही ये पता होगा कि इसकी शुरुआत कहां से हुई है। हम आपको आज बताएंगे इस ब्रांड के बारे में।

साल 1884 में बर्मन परिवार ने जब एक छोटी आयुर्वेदिक दवा कंपनी के रूप में शुरुआत की थी तो 125 साल बाद यह नंबर वन कंपनी बन जाएगी किसी ने सोचा नहीं होगा। कोलकाता के बर्मन परिवार की कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड ने अब पूरी दुनिया में अपना नाम कायम कर लिया है।

आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में 125 साल की हो गई इस कंपनी की जगह कोई नहीं ले सकता। आज डाबर देश का हर्बल और नेचुरल प्रॉडक्ट की सबसे बड़ी पेशेवर कंपनी बन गई है।

डाबर इंडिया के 250 से अधिक प्रोडक्ट का बाजार में बोलबाला है। दवाई से लेकर फूड तक में हर जगह डाबर मौजूद दिखता है। डाबर के प्रोडक्ट पूरी दुनिया के 60 से अधिक देशों में उपलब्ध हैं। सिर्फ विदेश में ही इसका कारोबार 500 करोड़ रुपए का है।

Cambridge University से MBA की डिग्री हासिल कर डाबर इंडिया लिमिटेड की कमान संभालने वाले कंपनी के Vice president  अमित बर्मन एक पायलट भी हैं।

 

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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