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27 साल की एक खूबसूरत लड़की को 70 साल के बुड्ढे से करनी पड़ी शादी, मजबूरी या साजिश?

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नई दिल्ली। भारतीय समाज में शादी के वक्त लड़के के लिए 3-4 साल छोटी लड़की खोजी जाती है। ऐसा कहा जा जाता है कि उम्र का ये अंतर रहने से दोनों को एक दूसरे को समझने में आसानी होती है लेकिन आज हम आपको ऐसे 70 साल के बुड्ढ़े की कहानी बताने जा रहे है जिसने मात्र 27 साल की खूबसूरत लड़की से शादी कर ली है। जब सोशल मीडिया पर लोगों ने इस कपल की शादी के तस्वीरें देखीं तो मज़े लेने शुरू कर दिए। कुछ लोगों ने बेहद भद्दे कमेंट भी किए।

इस फोटो में जो बूढ़ा आदमी नजर आ रहा है ये है उसका नाम है राजेश कुमार है। राजेश एक बहुत ही बड़े बिजनेसमैन है। इनकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी है और इनकी कोई संतान नहीं है जो इनकी इतनी बड़ी प्रॉपर्टी की मालिक बन सके इसलिए इन्होने 27 साल की खूबसूरत लड़की से शादी की है। हालांकि हम आपको यहां बता दें कि ये एक साल पुरानी बात है।

70 वर्षीय राजेश असम के एक ऑटो एंटरप्राइजेज लिमिटेड का मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। जबकि जिस लड़की से उन्होंने शादी की है उसकी 27 साल की है। एक फेसबुक यूजर ने दावा किया है कि वह राजेश कुमार से अच्छी तरह से परिचित हैं, उसने लिखा है कि मैं राजेश अंकल से अच्छी तरह से जानती हूं, वे मेरे पिता के दोस्त हैं, लेकिन उन्होंने जो किया है, उसका हम समर्थन नहीं करते है।

यूजर ने लिखा है कि आंटी के निधन होने के बाद अंकल स्वयं को अकेला मानने लगे थे। वे किसी भी उम्रदराज या विधवा महिला से भी शादी रचा सकते थे, लेकिन उन्हें छोटी उम्र की लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए थी। उन्हें कनिष्क और अपने नाती-पोतों के बारे में सोचना चाहिए था। उन्होंने जिस लड़की को पत्नी बनाया है, वह उनकी बहू बनने के लायक भी नहीं बल्कि उनसे भी छोटी है।

जब राजेश कुमार से उनकी शादी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की सोशल मीडिया पर उनकी शादी का भले ही विरोध कर रहे हो पर ये उनका निजी फैसला है। उन्होंने अपनी पत्नी के देहांत के बाद अपने से आधी उम्र की युवती से शादी कर अपना जीवन बिताने का फैसला लिया है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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