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धर्म, राष्ट्रवाद के नाम पर देश तोड़ने के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत

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नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)| भारत में महिलाओं की स्थिति में आई गिरावट के कारणों पर चिंता जताते हुए महिला कार्यकर्ताओं ने यहां महिला प्रेस क्लब में गुरुवार को ‘बातें अमन की’ आंदोलन शुरू करने की जानकारी दी।

आंदोलन के जरिये धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर देश को तोड़ने के खिलाफ आवाज बुलंद किया जाएगा। ‘ बातें अमन की ‘अभियान अभियान 22 सितम्बर से 15 अक्टूबर, 2018 तक चलाए जाने की योजना है। इस दौरान एनी राजा (एनएफआईडब्ल्यू), मरियम धावले (एआईडीडब्ल्यूए), लीना दबीरु (इंडिया इनक्लूसीव) और शबनम हाशमी (इंडिया इनक्लूसीव) यहां मौजूद रहीं।

एनी राजा ने कहा, पिछले चार वर्षो में भारत में महिलाओं की स्थिति में बहुत अधिक गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण धर्म का राजनीतिकरण और राजनीति में धर्म का इस्तेमाल है। इस मामले में नैतिक मूल्यों के निर्धारण और समाज में महिलाओं का रोल निर्धारित करने में दक्षिणपंथी हिन्दू संगठन अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। यह संगठन सत्ताधारी भाजपा की मूक और खुली सहमति के साथ धर्म को इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, सरकार ने अलग अलग प्रलोभन देने के नाम से महिलाओं को बेवकूफ बनाया है। ‘बातें अमन की’ आंदोलन द्वारा हम सब उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होंगे जो धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर देश को तोड़ने का काम कर रही हैं।

शबनम हाश्मी ने कहा, महिलाएं बढ़ती हुई हिंसा से परेशान हैं। हम देश की सारी बड़ी महिला संस्थाएं और जनता के आंदोलन साथ मिलकर पूरे देश में अमन, शांति और मोहब्बत का सन्देश लेकर जाने के लिए ‘बातें अमन की’ आंदोलन की शुरुआत कर रही हैं।

उन्होंने कहा, आजादी के बाद से यह शायद पहली बार हो रहा है के इतने सारे महिला संगठन पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं जो महिला मुद्दों पर न होकर सारे देश के मुद्दों से जुड़ा है।

विभिन्न संस्थाओं द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया, कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म के मामलों पर सरकार की प्रतिक्रिया से महिलाओं तथा नागरिकों के तौर पर हम सभी भयभीत हैं। उन्हें राजनीतिक बदला लेने के लिए निशाना बनाया गया। लेकिन यह घटनाएं कानून के अंतर्गत अपराध भी हैं, चाहे इनका सम्बन्ध जिस से भी हो। कानून के वर्चस्व और समानता के प्रति बुनियादी संवैधानिक प्रतिबद्धता में निरंतर गिरावट आ रही है। दुष्कर्म की इन घटनाओं को जिस तरह राजनीति और धर्म से जोड़ा जा रहा है उसे भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। हद तो यह है कि दुष्कर्म को लोगों को साम्प्रदायिकता के आधार पर बांटने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

विज्ञप्ति में कहा गया, भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि नोटबंदी के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने घरों के अन्दर अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा। हजारों महिलाओं का जॉब और रोजगार समाप्त हो गया।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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