ऑफ़बीट
“जय भद्र काली” वाले मिथुन चक्रवर्ती, “लाल सलाम” वाले कट्टर नक्सली थे, न मानों तो खबर पढ़ लो
मुंबई। बॉलीवुड के डिस्को डांसर मिथुन चक्रवर्ती आज अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म 16 जून, 1952 को कलकत्ता में हुआ था। मिथुन के बचपन का नाम गौरांग चक्रवर्ती था। हालांकि फिल्मों में कभी उन्होंने ये नाम इस्तेमाल नहीं किया। मिथुन बॉलीवुड के उन एक्टर्स में शुमार हैं जिनका कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। ना ही मिथुन का कोई गॉडफादर था। मिथुन ने केवल अपनी बेहतरीन अदाकारी के दम पर बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई। मिथुन उन चंद अभिनेताओं में शामिल है जिन्हें अपनी पहली ही फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया।
वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म .मृगया ..बतौर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के सिने करियर की पहली फिल्म थी। फिल्म में उन्होंने एक ऐसे संथाली युवक .मृगया ..की भूमिका निभाई जो अंग्रेजी हूकुमत द्वारा अपनी पत्नी के यौन शोषण के विरूद्ध आवाज उठाता है। फिल्म में उन्हें दमदार अभिनय के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
यह बहुत ही कम लोगों जानते हैं कि मिथुन फिल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले एक कट्टर नक्सली थे लेकिन उनके परिवार को कठिनाई का सामना तब करना पड़ा जब उनके इकलौते भाई की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद मिथुन अपने परिवार में लौट आए और खुद को नक्सली आन्दोलन से अलग कर लिया। हालांकि ऐसा करने के कारण नक्सलियों से उनके जीवन को खतरा हो सकता था, क्योंकि नक्सलवाद को वन-वे रोड माना जाता रहा है। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ और जीवन में उन्हें एक आइकॉनिक दर्जा प्रदान करने में प्रमुख कारण बना। यह बात भी कम लोग ही जानते हैं कि उन्हें मार्शल आर्ट में महारत हासिल है।
मिथुन ने एक्ट्रेस योगिता बाली से शादी की। मिथुन चार बच्चों के पिता हैं, जिनमें तीन बेटे और एक बेटी है। मिथुन की नामी फिल्में जिनसे उनकी बॉलीवुड में आज भी उतनी धौंस बरकरार है। वह हैं वांटेड (1983), बॉक्सर (1984), जागीर (1984), जाल (1986), वतन के रखवाले (1987), कमांडो (1988), वक्त की आवाज़ (1988), गुरु (1989), मुजरिम (1989) और दुश्मन (1990) इन फिल्मों में मिथुन ने एक एक्शन हीरो के रूप पहचान पाई। 80 के दशक में उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ कंपेयर किया जाने लगा था।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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