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Exclusive: क्या आपको पता है सड़क किनारे लगे ‘मील के पत्थर’ का ये बड़ा राज?

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आप अक्सर सफर के दौरान देखते होंगे कि सड़क किनारे पत्थर लगे होते हैं जिस पर संबंधित शहर की दूरी और अन्य जानकारी लिखी होती है। सड़क किनारे लगे पत्थर को मील का पत्थर भी कहा जाता है। लेकिन, आपने गौर किया होगा कि अलग अलग जगहों पर इनके रंग रूप और डिज़ाइन अलग अलग होते हैं। आखिर इसका क्या मतलब होता है यह सवाल आपके जेहन में जरूर ही आती होगी।

साभार – इंटरनेट

काले रंग का पत्थर – अगर दूरी बताने वाले पत्थर पर काला रंग दिखाई दे तो आप समझ लीजिए कि आप किसी बड़े शहर या फिर जिले की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके अलावा वो रोड आने वाले जिले के अंतर्गत आती है और उस रोड की सारी जिम्मेदारी उस जिले की ही होती है।

साभार – इंटरनेट

लाल रंग का पत्थर – अगर इन दोनों रंग का पत्थर आपको दिखाई दे तो समझ जाइये की ये सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी है। इस से पता चलता है की आप किसी गांव की तरफ बढ़ रहे हैं।

साभार – इंटरनेट

हरे रंग का पत्थर – जब पत्थर (माइलस्टोन) पर हरा रंग नजर आए तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप नेशनल हाईवे पर नहीं बल्कि स्टेट हाईवे पर सफर कर रहे हैं। दूरी बताने वाले पत्थर पर हरे रंग का मतलब है स्टेट हाईवे।

साभार – इंटरनेट

पीले रंग का पत्थर – अगर दूरी बताने वाले पत्थर का रंग पीला दिखे तो आप समझ लीजिए कि आप नेशनल हाईवे पर सफर कर रहे हैं। यानी जिस हाईवे पर आप सफर कर रहे हैं वो केंद्र सरकार ने बनवाई हैं और इस हाईवे दी देखरेख का जिम्मा भी केंद्र सरकार का ही है।

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मध्य प्रदेश के शहडोल में अनोखे बच्चों ने लिया जन्म, देखकर उड़े लोगों के होश

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शहडोल। मध्य प्रदेश के शहडोल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां ऐसे बच्चों ने जन्म लिया है, जिनके 2 शरीर हैं लेकिन दिल एक ही है। बच्चों के जन्म के बाद से लोग हैरान भी हैं और इस बात की चिंता जता रहे हैं कि आने वाले समय में ये बच्चे कैसे सर्वाइव करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

एमपी के शहडोल मेडिकल कालेज में 2 जिस्म लेकिन एक दिल वाले बच्चे पैदा हुए हैं। इन्हें जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग परेशान हैं कि आने वाले समय में इन बच्चों का क्या भविष्य होगा। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े इन बच्चों का वह कैसे पालन-पोषण करेंगे।

परिजनों को बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता है। बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा इन्हें रीवा या जबलपुर भेजने की तैयारी की जा रही है, जिससे इनका उचित उपचार हो सके। ऐसे बच्चों को सीमंस ट्विन्स भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, अनूपपुर जिले के कोतमा निवासी वर्षा जोगी और पति रवि जोगी को ये संतान हुई है। प्रेग्नेंसी के दर्द के बाद परिजनों द्वारा महिला को मेडिकल कालेज लाया गया था। शाम करीब 6 बजे प्रसूता का सीजर किया गया, जिसमें एक ऐसे जुडवा बच्चों ने जन्म लिया, जिनके जिस्म दो अलग अलग थे लेकिन दिल एक ही है, जो जुड़ा हुआ है।

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