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मंगलयान मिशन की अवधि 6 महीने बढ़ी

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बेंगलुरू | मंगल ग्रह और इसके वातावरण के अन्वेषण के लिए लांच किए गए भारत के पहले मंगलयान मिशन की अवधि मंगलवार को छह महीने और बढ़ा दी गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “चूंकि 1,340 किलोग्राम के मंगलयान में अभी पर्याप्त (37 किलोग्राम) ईंधन है, इसलिए मिशन की अवधि छह महीने बढ़ाई गई है।”

इस ऐतिहासिक मिशन ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के छह महीने पूरे कर लिए हैं। भारत का मंगलयान पृथ्वी से मंगल ग्रह तक नौ महीने की अंतर-ग्रहीय यात्रा पूरी करके 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हुआ था, जिसके साथ भारत ने पहले प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने का इतिहास रचा था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो के मंगलयान मिशन केंद्र में मौजूद थे। भारत ने पहले प्रयास में मंगल ग्रह के क्षेत्र में प्रवेश करने वाला पहला देश होने का इतिहास भी रचा था, क्योंकि 2011 में चीन का ऐसा ही मिशन असफल हो गया था। भारत का यह 450 करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी मंगल मिशन पांच नवबर 2015 को बंगाल की खाड़ी के श्रीहरिकोटा उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लांच किया गया था।

इसरो के निदेशक देवी प्रसाद कार्णिक ने बताया, “मंगलयान में लगे पांच वैज्ञानिक उपकरण ब्योरा संग्रह करते रहेंगे और इन्हें विश्लेषण के लिए हमारे गहन अंतरिक्ष नेटवर्क में प्रसारित करते रहेंगे।” मंगलयान में लगे पांच उपकरणों में मार्स कलर कैमरा (एमसीसी) सबसे ज्यादा सक्रिय रहा है। इसने मंगलग्रह और इसके आसपास के वातावरण की बहुत सी शानदार तस्वीरें खींची हैं। कार्णिक ने बताया, “हमने अपनी वेबसाइट पर बहुत सी तस्वीरें अपलोड की हैं।” मंगलयान के अन्य उपकरण मंगल ग्रह की सतह, इसकी समृद्ध खनिज रचना के अध्ययन के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही उपकरण मिथेन गैस के लिए मंगल ग्रह के वातावरण का स्कैन कर रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यहां जीवन की संभावना है या नहीं।

मंगलयान के अन्य चार उपकरण मिथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), लिमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मार्स एक्जोस्फेरिक न्यूट्रल कॉम्पोजशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्टोमीटर (टीआईएस) हैं। एमएसएम मंगल ग्रह के वातावरण में पीपीबी (पार्टिकल्स पर बिलियन) की सूक्ष्मता के साथ ग्रह की प्राकृतिक गैस का मापन कर रहा है। एलएपी मंगलग्रह की वातावरणीय प्रक्रिया का अध्ययन कर रहा है। एमईएनसीए और टीआईएस ग्रह की तटस्थ रचना का विश्लेषण कर रहे हैं और मंगल ग्रह की सतह रचना और खनिज विज्ञान को समझने के लिए दिन और रात का तापमान माप रहे हैं।

यहां मिशन के नियंत्रण कक्ष में वैज्ञानिक मंगलग्रह के आसपास मंगलयान की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं और इसके उपकरणों की जांच कर रहे हैं। कार्णिक ने बताया, “विमान का मिजाज और अन्य मापदंड ठीक हैं। सभी जरूरी कार्यो का प्रदर्शन सामान्य रहेगा।”

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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