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अन्तर्राष्ट्रीय

जिन पीरियड्स के बारे में बात नहीं करते लोग, उसके खून से यहां धोया जाता है मुंह

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नई दिल्ली। भारतीय समाज में महिलाओं को आने वाले पीरियड्स एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में लोग बात करने से डरते हैं या हिचकते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में पीरियड्स को लेकर ऐसी ही मान्यताएं हैं। एक देश में तो पीरियड्स के खून से मुंह धोने का भी रिवाज़ है। आज हम आपको ऐसे ही कई देशों में पीरियड्स से जुड़े रीति-रिवाज बताने जा रहे हैं।

भारत : पीरियड्स आने पर महिलाएं किचेन में नहीं जा सकती, खाना नहीं बना सकतीं, बड़े-बुजुर्गों को छू भी नहीं सकती, वो अचार नहीं छू सकती, मंदिर जाने और पूजा-पाठ करने की भी मनाही होती है।

फिलीपींस : यहां लड़कियों को जब पहली बार पीरियड्स आते हैं, तो वो उस खून से अपने चेहरे को धोती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि ऐसा करने से चेहरा साफ होता है।

साउथ अफ्रीका : यहां पहली बार पीरियड्स आने पर बकरी काटने और लड़कियों को सूर्यास्त तक चादर से सिर ढक कर रहना होता है।

अफगानिस्तान : यहां महिलाएं पीरियड्स के दौरान नहा नहीं सकती। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान नहाने से वो बांझ हो जाएंगी।

नेपाल : यहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मंदिर जाने की मनाही होती है। इस दौरान वो अशुद्ध मानी जाती हैं।

पोलैंड : यहां का सबसे अजीबोगरीब नियम यह है कि पीरियड्स के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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