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नेशनल

हिंदी दिवस 2018 : जानिए क्यों मनाया जाता है ये दिन, कैसे हुई शुरुआत

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भारत देश में हमारी संस्कृति, रहन- सहन, वेशभूषा और खान-पान सब अलग अलग हैं लेकिन एक भाषा ऐसी हैं जो हमें एक करती हैं। वो भाषा हैं हिंदी भाषा हैं, जो भारत में सबसे ज्यादा बोली जाती हैं। आपको बता दें, हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। तब से हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है।

इतिहास – साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था। क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि ‘इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाए।’ बता दें पहला हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था।

अंग्रेजी भाषा को लेकर हुआ विरोध – 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। अंग्रेजी भाषा को हटाए जाने की खबर पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था। तमिलनाडू में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे हुए थे।

जनमानस की भाषा हैं हिंदी – साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

उत्तर प्रदेश

दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग

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गौतमबुद्ध नगर। उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला अक्सर चर्चा में रहता है। चाहे वो सोसाइटीज की समस्या को लेकर हो या विकास की रफ्तार को लेकर हो या फिर त्योहारों पर बिक्री को लेकर। दिवाली का त्योहार बीत गया है।

इस बीच, दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले में शराब की बिक्री को लेकर जानकारी सामने आई है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल यहां शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। यानी दिवाली के दौरान गौतमबुद्ध नगर जिले के लोग शराब के नशे में भी खूब झूमे हैं।

दिवाली में पिया 25 करोड़ की शराब

दिवाली के जश्न के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले में लोग 25 करोड़ रुपये की शराब गटक गए, जो पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि पूरे अक्टूबर माह में जिले के लोगों ने 250 करोड़ रुपये शराब पर खर्च किए, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 204 करोड़ रुपये था।

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