Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

गुजरात में विवादित आतंकवाद रोधी विधेयक फिर पारित

Published

on

गांधीनगर,गुजरात,भाजपा,राजग,जीसीटीओसी,संप्रग,मकोका,विधेयक

Loading

गांधीनगर | विपक्ष के कड़े विरोध और सदन से बहिर्गमन के बीच गुजरात विधानसभा ने गुजरात आतंकवाद तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य राज्य में आतंकवाद व संगठित अपराध से निपटना है। यह विधेयक साल 2003 से ही लटका पड़ा है, जब इसे राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह ने इसे पेश किया था।

विधानसभा में बहुमत के कारण विधेयक पारित कराने में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी, लेकिन अतीत में राष्ट्रपति तीन बार इस विधेयक को लौटा चुके हैं। पहली बार इस विधेयक को साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने लौटा दिया था। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार थी। विधेयक के संशोधित स्वरूप को साल 2008 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने खारिज कर दिया था। उस वक्त केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार थी। बाद में राज्य के राज्यपाल ने इस विधेयक के कानून बनने में अडं़गा लगा दिया था।

विधानसभा में विधेयक पेश करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री रजनी पटेल ने कहा, “यह कानून समय की मांग है। केवल आतंकवाद ही नहीं, बल्कि संगठित अपराध से भी कड़ाई से निपटने की जरूरत है।” कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, “सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। विधेयक का केवल नाम बदला गया है। विधेयक की सामग्री जस की तस है। सरकार ने हमारे द्वारा उठाए गए तकनीकी मुद्दों को भी नहीं स्वीकारा।” गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीसीटीओसी) के नाम से यह विधेयक महाराष्ट्र के महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर ही है। विधेयक का नया प्रारूप संशोधनों के साथ है।

आलोचकों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, अदालत में सबूत के रूप में पेश करने के लिए यह पुलिस को टेलीफोन टैपिंग सहित कई अधिकार प्रदान करता है। इस विधेयक के अन्य प्रावधानों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के समक्ष की गई स्वीकारोक्ति अदालत में सबूत के रूप में पेश करने के लिए मान्य होगी। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस कानून के परिणामस्वरूप मनमाना बयान लेने के लिए हिरासत में संदिग्ध का उत्पीड़न किया जा सकता है। विधेयक के एक अन्य प्रावधान के मुताबिक, यह संदिग्ध के 15 दिनों की हिरासत के बजाय 30 दिनों के हिरासत की मंजूरी देता है, और पुलिस आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र वर्तमान में 90 दिनों की जगह 180 दिनों में दाखिल कर सकती है।

प्रादेशिक

विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान, बुजुर्गों को मिलेंगी पेंशन

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दिल्ली में अब से कुछ ही समय बाद विधानसभा चुनाव का आयोजन होना है। अब चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दांव खेला है। केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों के लिए बड़ा ऐलान कर दिया है। केजरीवाल ने बताया है कि दिल्ली में 80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन की सौगात मिलेगी। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में अब सब रूके हुए काम फिर से शुरू कराएँगे।

80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन

अरविंद केजरीवाल की सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसमें बुजुर्गों के लिए बड़ा ऐलान किया। केजरीवाल ने कहा कि वे दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली के बुजुर्गों के लिए अच्छी खबर लेकर आये हैं। सरकार 80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन देने जा रही है। केजरीवाल ने बताया है कि दिल्ली में अब 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को पेंशन मिलेगी।

कितने रुपये की पेशन मिलती है?

अरविंद केजरीवाल ने बताया है कि अभी 60 से 69 साल के बुजुर्गों को 2 हजार रुपये महीना दिया जाता है। इसके अलावा 70 से ज्यादा के बुजुर्गों को 2500 रुपए महीना दिया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस फैसले को कैबिनेट ने भी पास कर दिया है। ये लागू भी हो गया है। केजरीवाल ने बताया है कि पेंशन के लिए 10 हजार नए एप्लिकेशन भी आ गए हैं।

Continue Reading

Trending