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श्रीदेवी मंदिर में महिलाओं की तरह सज-संवर कर पूजा करते हैं पुरुष, वजह है हैरान कर देने वाली!

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नई दिल्ली। महिलाओं के सजने-संवरने से आप बहुत अच्छी तरह से वाकिफ होंगे लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि एक ऐसी जगह है जहां लड़के लड़कियों जैसा श्रृंगार करते हैं तो आपको भी अजीब लगेगा।

बात भले ही अजीबोगरीब हो लेकिन सौ फीसदी सही है। पुरुषों से जुड़ा ये अजीबो-गरीब रिवाज साउथ इंडिया के सबसे खूबसूरत राज्य केरल में है।

यहां पुरुषों को अच्छी बीवी और नौकरी के लिए महिलाओं की ही तरह सजने-संवरने के साथ साड़ी भी पहननी पड़ती है। बता दें, केरल के कोल्लम जिले के कोट्टनकुलंगरा में श्रीदेवी नाम के मंदिर में पुरुषों को महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना पड़ता है।

ऐसी मान्यता है कि जब पुरुष महिलाओं की तरह पूरे सोलह श्रृंगार करते हैं तब कहीं जाकर उनकी मुराद पूरी होती है। यहां के लोगों के मुताबिक इस जगह माता जी की मूर्ति खुद ही प्रकट हुई थी।

जिसके बाद चरवाहों ने महिलाओं के वस्त्र पहनकर उनकी पूजा की थी। जिसके बाद हर पुरुष को महिलाओं की वेशभूषा धारण कर पूजा करने लगे।

इस मंदिर में पुरुषों के साथ महिलाएं भी आ सकती हैं। दरअसल हर साल 23 और 24 मार्च को श्रीदेवी मंदिर में चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है।

इस उत्सव के तहत पुरुषों को महिलाओं के गेटअप में ही मंदिर में एंट्री दी जाती है। पुरुष ऐसा अपने लिए सुंदर लड़की और अच्छी नौकरी पाने के लिए करते हैं।

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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