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प्रादेशिक

मोदी की मौजूदगी से कर्नाटक भाजपा में उत्साह

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बेंगलुरू| कर्नाटक की राजधानी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक और शुक्रवार रात एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से भाजपा की कर्नाटक इकाई बेहद उत्साहित व आशान्वित है। साल 2013 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी की प्रदेश इकाई में मायूसी का आलम था।  भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रहलाद जोशी ने शनिवार को यहां कहा, “केंद्र में सत्ता में आने के बाद पार्टी की कार्यकारिणी की पहली बैठक को बेंगलुरू में कराने से हमें बेहद उत्साह मिला है। यह समारोह हमें लोगों का विश्वास जीतने व हमारी क्षमता को जाहिर करने का एक मौका प्रदान करता है।”

कर्नाटक में भाजपा का पांच वर्षो (2008-13) का कार्यकाल बेहद उथल-पुथल भरा रहा था। इस दौरान तीन मुख्यमंत्री बदले गए और सरकार पर घोटालों का आरोप लगा। इसके बाद से ही पार्टी महसूस कर रही थी कि उसमें एक नई जान फूंकने की जरूरत है। साल 2014 में हुए आम चुनाव में पार्टी ने राज्य की 28 में से 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जोशी ने दावा किया, “पार्टी की जनसभा में जुटी अपार भीड़ यह दर्शाती है कि पार्टी और हमारे नेता (नरेंद्र मोदी) लोकप्रिय रहे हैं और उनके प्रति लोगों में सम्मान बना हुआ है। हमें खबर मिली है कि कई लोग दूसरे शहरों से भी आए थे।”

जोशी ने कहा, “मतों का बंटवारा सहित कई कारणों से हम मई 2013 में हुआ विधानसभा चुनाव हार गए। लेकिन उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में हमने 17 सीटों पर जीत दर्ज की, जो साल 2009 के आम चुनाव में जीती गई 18 सीटों से एक सीट कम है। यह साबित करता है कि प्रदेश में हमारा वोट बैंक और समर्थन अक्षुण्ण है।” जोशी हुबली-धरवाड़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रभाकर कोर ने कहा, “हम साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में इसलिए हार गए, क्योंकि येदियुरप्पा ने दिसंबर 2011 में भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी (कर्नाटक जनता पार्टी) बना ली थी और हमारे खिलाफ चुनाव लड़ा। नतीजतन मतों का बंटवारा हुआ, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला।”

उल्लेखनीय है कि साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश की कुल 224 में से मात्र 40 सीटें ही जीत पाई थी, जबकि साल 2008 में हुए चुनाव में उसने 108 सीटें जीती थी। वहीं केजीपी को छह सीटें, जबकि बीएसआर-कांग्रेस मात्र चार सीटों पर सिमट गई थी। बीएसआर-कांग्रेस भाजपा के पूर्व मंत्री व पार्टी के बेल्लारी से लोकसभा सांसद बी.आ.श्रीरामुलू की पार्टी थी, जिसका पिछले साल भाजपा में विलय हो गया। कोर ने कहा, “येदियुरप्पा व श्रीरामुलू की वापसी से साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को लाभ मिला है, क्योंकि मतों का विभाजन नहीं हो पाया।”

 

भाजपा के पूर्व मंत्री व पार्टी के प्रवक्ता सी.टी.रवि ने कहा, “शाह ने हमें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा है, जो साल 2018 के पहले कभी भी हो सकता है। इसके अलावा, हम पार्टी के सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाएंगे और कांग्रेस से किसी भी समय मुकाबले के लिए तैयार हैं।”

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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