नेशनल
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया बड़ा कदम, जस्टिस बोबडे बोले- ये आस्था का मामला है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज यानि बुधवार की सुबह से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्ज़िद विवाद पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सबसे पहले हिंदू महासभा ने उच्चतम न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखा।
कयास लगाए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट पर मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाने पर अपना फैसला दे सकता है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे कि अगर मामला मध्यस्थता के जरिए निपटता है सुप्रीम कोर्ट भी उसमें मदद करने के लिए तैयार है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम मंदिर पर मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने के लिए कहा है।
बुधवार को सुनवाई में क्या हुआ…?
> हिंदू महासभा की ओर से वकील हरिशंकर जैन ने समझौते का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट में पार्टियां मान जाती हैं, तो आम जनता इस समझौते को नहीं मानेगी। इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि आप सोच रहे हैं कि किसी तरह का समझौता करना पड़ेगा कोई हारेगा, कोई जीतेगा. मध्यस्थता में हर बार ऐसा नहीं होता है।
> जस्टिस बोबडे ने कहा कि ये सिर्फ जमीन का मसला नहीं है बल्कि भावनाओं का मसला है, इसलिए हम चाहते हैं कि बातचीत से हल निकले। उन्होंने कहा कि कोई उस जगह बने या बिगड़े निर्माण को या इतिहास को पहले जैसा नहीं कर सकता है। इसलिए बातचीत से ही बात सुधर सकती है।
> जस्टिस बोबडे ने कहा कि बाबर ने जो किया हम उसे ठीक नहीं कर सकते हैं, अभी जो हालात हैं हम उसपर बात ही करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई केस मध्यस्थता को जाता है, तो उसके फैसले से कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है।
> हिंदू महासभा ने कोर्ट में कहा कि इस केस को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए इससे पहले नोटिस जरूरी है। यही कारण है कि हिंदू महासभा इसका विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि क्योंकि ये हमारी जमीन है इसलिए हम मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं।
> जस्टिस भूषण ने कहा है कि इस मामले में अगर पब्लिक नोटिस दिया गया तो मामला वर्षों तक चलेगा, ये मध्यस्थता कोर्ट की निगरानी में होगी।
बाबरी मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि कानूनी नजरिए से आर्बिट्रेशन और मीडिएशन में फर्क है, इसलिए आर्बिट्रेशन में कोर्ट की सहमति जरूरी है बल्कि मध्यस्थता में ऐसा नहीं है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है। 26 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में इसी पीठ ने कहा था कि सभी पक्षों को एक बार फिर बातचीत पर विचार करना चाहिए, अगर एक फीसदी भी सफलता की उम्मीद है तो कोशिश जरूर होनी चाहिए।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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