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नेशनल

रिपोर्ट कार्डः 5 साल में इतने वादे नहीं पूरे कर सकी मोदी सरकार, संख्या जानकर रह जाएंगे हैरान

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के पहले फेज की वोटिंग गुरुवार सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएंगी। लेकिन मतदान से एक दिन पहले एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिससे लोग हैरान हो सकते हैं।

अंतराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने चुनाव से महज कुछ घंटों पहले एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें मोदी सरकार के द्वारा पूरे किए वादों का लेखा-जोखा है।

एजेंसी ने 2014 में भाजपा द्वारा किए गए 50 वादों को आधार बनाकर बताया है कि इन पांच सालों में 12 ही ऐसे वादें हैं जिन्हें मोदी सरकार पूरा कर पाई है।

जबकि 21 वादे आंशिक रूप से पूरे किए गए हैं। वहीं वादे न पूरे करने की संख्या भी कम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक 17 ऐसे बड़े वादे हैं जिन्हें मोदी सरकार 5 साल में पूरा नहीं कर सकी है।

वादे जो पूरे किए गए

  1. किसानों की फसल तबाह होने के बाद उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाना, इसके तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई. पहले 50 फीसदी फसल खराब होने पर मदद मिलती थी, अब 33 फीसदी फसल खराब होने पर भी मदद दी जा रही है.
  2.  कृषि मार्केटिंग कमेटी एक्ट में बदलाव किया गया, इसके तहत राज्यों ने भी कानून में बदलाव किए हैं.
  3. किसानों के लिए राष्ट्रीय मंडी की व्यवस्था की गई. इसपर नज़र रखने के लिए एक पोर्टल को भी लॉन्च किया गया था. इसके अलावा किसानों को खेती करने के लिए मदद का वादा भी पूरा हुआ है.
  4. ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की वैश्विक रैंकिंग में सुधार.
  5. खेती और बागवानी से जुड़ी वस्तुओं के दाम पर लगाम के लिए Price Stabilisation Fund की व्यवस्था की गई
  6.  इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकिंग सिस्टम में सुधार किया गया. जनधन योजना के तहत करोड़ों बैंक खाते खोले गए.
  7.  अप्रेंटिसशिप एक्ट में बदलाव किया गया.
  8. स्वयं योजना के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म खोले गए, जिससे युवाओं को रोजगार के लिए ट्रेनिंग दी गई.
  9.  आपसी झगड़ों के कई केसों को लोक अदालत के चलते निपटाया गया, इससे अदालतों पर दबाव कम हुआ.
  10. पुराने और बेकार कानूनों को खत्म किया गया.
  11. नेशनल हेल्थकेयर पॉलिसी को 2017 में लॉन्च किया गया. इसका मकसद हर किसी को बेहतरीन इलाज देना है.
  12. राजस्व घाटे को काबू में लाया गया. इसे अभी 3.4 फीसदी तक लाया गया है, लक्ष्य 3 के आस-पास का ही था.

आंशिक रूप से पूरे किए गए वादे

जो वादे आंशिक रूप से पूरे हुए हैं, उनमें किसानों को पेंशन, किसानों की फसल का रियल टाइम डाटा, फसलों का मिनिमम प्राइस, रोजगार, सभी के लिए घर, छोटे रोजगारों को बढ़ावा, एफडीआई, टैक्स, काला धन के लिए टास्क फोर्स, बैंकिंग सेक्टर को बैड लोन से बचाना, हर राज्य में एम्स अस्पताल जैसे कुल 21 वादे आंशिक रूप से पूरे हैं. यानी इनपर या तो काम जारी है, या फिर पूरा होने वाला है।

ऐसे वादे जो नहीं हो सके पूरे

जिन वादों को बीते पांच साल में पूरा नहीं किया गया है, इसमें मैन्यूफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल हब, छोटे कारोबार के लिए टास्क फोर्स, मल्टीब्रांड सेक्टर में एफडीआई पर रोक, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन में बदलाव, मिड-डे मील में सुधार, जम्मू-कश्मीर में धारा 370, अनुच्छेद 35A, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाना, दागी सांसदों पर कार्रवाई समेत कुल 17 बड़े वादे ऐसे हैं जिनपर कोई भी काम नहीं हो सका है।

 

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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