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लोकसभा चुनाव 2019: कम वोटिंग से भाजपा को नुकसान होगा या महागठबंधन को? जानिए यहां
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले फेज की वोटिंग गुरुवार शाम संपन्न हो गई। 20 राज्यों की 91 सीटों पर हुई वोटिंग में लगभग 60 फीसदी लोगों ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए मतदान किया। लेकिन 2014 के मुकाबले इन सीटों पर कम वोटिंग हुई।
साल 2014 में इन 91 सीटों पर 66.4 प्रतिशत मतदान हुए थे। करीब 6 फीसदी मतदान कम होने के बाद तमाम सियासी दल आकलन करने में जुट गए हैं कि इससे उन्हें फायदा हो रहा है या फिर नुकसान।
पहले फेज के 91 सीटों पर हुए मतदान में कुल 1239 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सभी की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है जो 23 मई को पता चल पाएगा।
पहले चरण में सबसे ज्यादा मतदान पश्चिम बंगाल में 81 फीसदी रहा और सबसे कम बिहार में 50 फीसदी रहा। जबकि पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर हुए चुनाव में 64 फीसदी मतदान हुआ।
अगर इस लोकसभा चुनाव की साल 2014 से तुलना करें तो बीजेपी 32 सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि कांग्रेस के खाते में महज 7 सीटें आई थीं। इसके अलावा 16 सीटें टीडीपी, 11 टीआरएस, 9 सीटें वाईएसआर कांग्रेस, 4 सीटें बीजेडी और 12 सीटें अन्य दलों ने जीती थी।
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जिन 32 सीटों को जीता था। इनमें यूपी की सभी 8 सीटें, उत्तराखंड की सभी 5, महाराष्ट्र की 7 में से 5, असम की 5 से 4, बिहार की 4 में 3 सीटें बीजेपी ने जीती थी।
दिलचस्प बात ये है कि बिहार की जिन चार सीटों पर गुरुवार को वोटिंग हुई है, बीजेपी उन चार में से महज एक सीट पर चुनावी मैदान में है। बाकी तीन सीटों पर सहयोगी दल के जेडीयू और एलजेपी के उम्मीदवार मैदान में हैं।
बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है। इसके अलावा असम की जिन पांच सीटों पर चुनाव वोटिंग हुई है उनमें से चार पर बीजेपी और एक पर उसके सहयोगी दल असम गण परिषद चुनाव मैदान में है. इसके अलावा बाकी राज्यों में बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी।
पहले चरण की 91 सीटों में से 2014 में कांग्रेस ने जिन सात सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें दो तेंलगाना, एक-एक अरुणाचल, असम, मेघालय, मिजोरम और मणिपुर की सीटें शामिल है।
राहुल गांधी के अगुवाई में उतरी कांग्रेस के लिए अपने खोए हुए जनाधार को वापस हासिल करने हरसंभव कोशिश में है। बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है और पहले चरण की चार सीटों में से किसी भी सीट पर वह चुनाव मैदान में नही थी। जबकि महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ मिलकर चुनावी रणभूमि में उतरी है। इसके अलावा बाकी राज्यों में वह अकेले चुनावी किस्मत आजमा रही है।
चुनावी एक्सपर्ट्स की मानें तो पहले चरण के चुनाव में कम वोट प्रतिशत से बीजेपी को नुकसान हो सकता है वहीं कुछ विश्लेषकों का माना है कि वोट प्रतिशत कम होने से बीजेपी को कोई नुकसान नहीं हो पाएगा। कम वोटिंग से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान ये तो 23 मई को ही पता चल पाएगा।
नेशनल
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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