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प्रादेशिक

15 साल की छात्रा का टीचर ने बनाया अश्लील वीडियो, अच्छे नंबर के बहाने बुलाता था कोचिंग में

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नई दिल्ली। बिहार  की राजधानी पटना से जिस्मफरोशी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां पालीगंज में कोचिंग की आड़ में सेक्स रैकेट चलाया जा रहा था।

इस रैकेट के जरिए स्कूल की नाबालिग लड़कियों को फंसाकर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था। कोचिंग चलाने वाला आरोपी टीचर पालीगंज के एक निजी स्कूल का सहयोग से ये रैकेट चला रहा था।

सेक्स रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद पटना पुलिस ने उस स्कूल को बंद करवा कर मामले की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी है।

इस रैकेट का फांडाफोड़ तब हुआ जब मंगलवार की सुबह सोशल मीडिया पर टीचर और छात्रा का अश्लील वीडियो वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद छात्रा के परिजनों ने स्कूल टीचर के खिलाफ मामला दर्ज कराया।

नाबालिग छात्रा की उम्र 15 साल है और वो स्थानीय लिटिल फ्लावर स्कूल में 6ठी क्लास में पढती है। पुलिस में दी गई शिकायत में परिजनों ने लिखा कि पढाई में कमजोर होने के कारण स्कूल के प्रबंधक ने उन्हें बुलाकर कहा कि लड़की को कोचिंग की जरूरत है। इसके लिए एक टीचर धर्मेन्द्र कुमार का चुनाव भी स्कूल के डायरेक्टर ने किया।

धर्मेंन्द्र स्कूल में अंग्रेजी पढाता था। थाने में दर्ज एफआईआर में शिक्षक के साथ-साथ स्कूल के डायरेक्टर, प्रिंसिपल और कई शिक्षकों पर आरोपी शिक्षक को बढावा देने का आरोप भी लगाया गया है। जब परिजनों को शिक्षक के इस कारनामे के बारे में पता चला तब उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों से शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नही हुई और उन्हें डांट कर भगा दिया गया। धमकी भी दी गई कि अगर इसके बारे में किसी को बताया तो बच्ची का किसी स्कूल में दाखिला नहीं होगा और मुंह दिखाने लायक भी नही रहोगे।

पूरे मामले पर डायरेक्टर ने सफाई भी दी है। डायरेक्टर के मुताबिक वीडियो 6 महीने पुराना है। उनके मुताबिक आरोपी टीचर अब स्कूल का हिस्सा नहीं है वो 2 महीने पहले ही नौकरी छोड़ चुका है। जबकि घरवालों का कहना है कि घर पर ट्यूशन पढ़ाने का प्रलोभन देकर आरोपी शिक्षक ने ये कुकृत्य किया है। परिजनों के अनुसार आरोपी वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करता था। वीडियो वायरल होने के बाद पूरे पालीगंज में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोपी शिक्षक फरार बताया जा रहा है. जो वीडियो वायरल हुआ है वो स्कूल के अंदर का नहीं है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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