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नेशनल

जानिए ट्रक में भरकर कहां ले जाए जा रहे थे EVM, जानकर उड़ जाएंगे होश

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नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम 23 मई को आने हैं लेकिन उससे ठीक पहले विपक्ष ईवीएम का राग अलापने लगा है। सोशल मीडिया पर इन दिनों ईवीएम से जुड़े कई वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।

ईवीएम वाले वीडियो को लेकर चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ट्रक भरकर ईवीएम बदलने की तैयारी की जा रही थी।

वीडियो शेयर कर यह कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के चंदौली में सोमवार शाम को ईवीएम बदलने की कोशिश की गई जिसके चलते खूब हंगामा हुआ।

कई लोगों ने हंगामे का वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जो देखते ही देखते वायरल होने लगा। सोशल मीडिया की इस पोस्ट में वीडियो के साथ दावा किया गया कि बीजेपी के कार्यकर्ता ईवीएम की चोरी करते पकड़े गए हैं।

लेकिन जब इस पोस्ट की पड़ताल की गई तो पाया गया कि यह पोस्ट पूरी तरह से फेक है। चुनाव आयोग ने इस वीडियो पर अपनी सफाई दे दी है। चुनाव आयोग ने कहा कि हंगामे की वजह बेबुनियाद है।

चंदौली मामले की जांच के लिए जब हमारी टीम ने इंटरनेट खंगाला तो पाया कि ये हंगामा तब शुरू हुआ था जब ईवीएम से लदी एक गाड़ी सोमवार शाम जिला मुख्यालय स्थित नवीन मंडी परिसर में पहुंची।

अखबारों में छपी खबर के मुताबिक सकलडीहा तहसील में ईवीएम रिजर्व में रखी गई थी, जिन्हें चुनाव पूरे होने के बाद मंडी परिसर लाकर स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जा रहा था।

विपक्षी नेता और विधायक प्रभु नारायण यादव ने प्रशासन पर ईवीएम बदलने के आरोप लगाया और धरने पर बैठ गए। वहीं चुनाव आयोग ने साफ किया है कि इस मामले में किसी तरह से ईवीएम की अदला बदली नहीं हुई है।

चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरन ने ट्वीट कर इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। चंदौली जिलाधिकारी ने इस मामले की जानकारी देते हुए लखनऊ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र भी लिखा था, जिसे शरन ने ट्वीट किया है।

इस पत्र में लिखा है कि “मतदान की समाप्ति के बाद दिनांक 20-5-2019 को संवीक्षा आदि की कार्यवाही सम्पन्न होने के बाद सहायक रिटर्निंग अफ़सर द्वारा इन मशीनों को तहसील सकलडीहा स्थित अस्थायी स्ट्रांग रूम से परिवहन कर नवीन कृषि उत्पादन मंडी समिति चंदौली स्थिति अतिरिक्त आवंटित स्ट्रांग रूम संख्या-9 में रखने हेतु लाया गया था, सभी राजनैतिक दलों के उक्त कक्ष संख्या में अप्रयुक्त मशीनें रखे जाने की सूचना पूर्व में ही दी गयी थी (प्रतिलिपि संलग्न है)।” चंदौली जिलाधिकारी के मुताबिक रिजर्व ईवीएम मशीनों को इसी प्रक्रिया के तहत स्ट्रांग रूम में रखा जाता है।

अखबार में छपी खबरों के मुताबिक, चंदौली में मामला तब थमा जब इलाके के अधिकारियों ने बाहर से आई ईवीएम को दूसरी जगह पर रखा।

पूरी पड़ताल में ये साफ हो गया कि मामला ईवीएम रखने का था न कि ईवीएम बदलने का। इसलिए हमारी पड़ताल में ईवीएम बदलने का दावा पूरी तरह गलत साबित होता है।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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