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प्रादेशिक

रोडवेज दफ्तर के लोग हेलमेट लगाकर क्यों कर रहे हैं ड्यूटी? वजह चौंका देगी आपको

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रुड़की रोडवेज दफ्तर में काम करने वाले लोग हेलमेट लगाकर काम करने पर मजबूर हैं। रोडवेज दफ्तर की जरजर हालत की वजह से कर्मचारियों को अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट लगाकर काम करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि अंग्रेजी शासनकाल के समाप्त होने के कुछ ही दिनों बाद इस बस अड्डे के निर्माण करा दिया गया था तब से अब तक इसकी मरम्मत कर दी जाती थी पर पिछले एक दशक से वह मरम्मत भी नही की गई। हाल यह हो गया कि रोडवेज बस अड्डा पूरी तरह से जर्जर हो चला है। कुछ वर्षों पहले कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय सुरेन्द्र राकेश ने इस अड्डे को पुनः निर्माण के लिए बजट भी पास कराया था पर बावजूद उसके आज तक इसका निर्माण नही हो पाया।

 

आपको बता दे कि उत्तराखण्ड परिवहन की बड़ी लापरवाही के चलते रुड़की रोडवेज दफ्तर में कर्मचारी हेलमेट पहनकर सरकारी कामकाज निपटा रहे है। वजह ये है कि रोडवेज का पूरा दफ्तर बदहाली में है और दफ्तरों की छतों का प्लास्टर टूट टूट कर कर्मचारियों के ऊपर गिरकर जान लेवा बन रहा है। इसी डर की वजह से सभी कर्मचारी हेलमेट लगाकर काम रहे है। विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा कई बार विभाग को अवगत भी कराया लेकिन समस्या का समाधान नही हो सका। जब कर्मचारियों की कोई सुनवाई नही हुई तो उन्होंने इस समस्या का समाधान स्वंम ही निकाल लिया, कर्मचारियों ने हैलमेट पहनकर कार्य करने का निर्णय लिया।
अब कर्मचारी हैलमेट पहनकर कामकाज निपटा रहे है, क्योंकि जान है तो जहान है, लेकिन कर्मचारियों का हेलमेट लगाकर सरकारी दफ्तरों में काम करना उत्तराखण्ड परिवहन निगम के मुंह पर एक बड़ा तमाचा है।

रिपोर्ट – संदीप चौधरी 

IANS News

महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

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प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।

मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र

इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।

पलक झपकते काम करेगी तकनीक

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

फोटो से मिलान करेगा एआई

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।

पहचान का देना होगा प्रमाण

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।

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