प्रादेशिक
माघ मेला में धूमधाम से मनाई गई शंकराचार्य अधोक्षजानंद के पीठारोहण की रजत जयंती
प्रयागराज। पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ के पीठारोहण की रजत जयंती गुरुवार को माघ मेले में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक व पादुका पूजन समेत कई अनुष्ठान सम्पन्न हुए।
पीठारोहण की 25वीं वर्षगांठ पर साधु-संतों और विद्वान आचार्यों के साथ शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने आज सर्वप्रथम भोर में ही पवित्र संगम में स्नान किया। इसके बाद त्रिवेणी रोड स्थित उनके माघ मेला शिविर में दिन भर विभिन्न कार्यक्रमों और अनुष्ठानों का सिलसिला जारी रहा। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती पूजन से हुआ।
इस दौरान शिविर में भारी संख्या में उपस्थित दंडी स्वामी और अन्य संतों ने जगद्गुरु शंकराचार्य का माल्यापर्ण कर उनका अभिवादन किया। शिविर में विशाल भंडारा भी चला और वहां पहुंचे साधु-संतों को शंकराचार्य के प्रसाद स्वरुप कंबल वितरित किये गये।
आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद की उच्च समिति ने इस मौके पर एक संगोष्ठी आयोजित कर जगद्गुरु देवतीर्थ द्वारा विगत 25 वर्षों में सनातन धर्म और समाज के लिए किये गये कार्यों की विस्तृत चर्चा की।
संसद ने निर्णय लिया कि शंकराचार्य के पीठारोहण की रजत जयंती साल भर देश के विभिन्न भागों में मनाई जाएगी। इस रजत जयंती वर्ष में जगह-जगह भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक, आद्य शंकराचार्य की पादुका का पूजन, संत सम्मेलन और यज्ञादि अनुष्ठान सम्पन्न होंगे। साथ ही देश भर में आद्य शंकराचार्य भगवान के संदेश प्रसारित किये जाएंगे।
संगोष्ठी मे विद्वानों ने कहा कि उड़ीसा प्रान्त के जगन्नाथ धाम स्थित पुरी पीठ प्रखर विचारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस पीठ के पूर्व शंकराचार्य भारती कृष्ण देवतीर्थ की वैदिक गणित का विश्व लोहा मानता है। उनकी यह वैदिक गणित दुनिया के कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम मे आज भी शामिल है। इसी तरह इस पीठ के 144वे शंकराचार्य स्वामी निरंजन देवतीर्थ गोरक्षा के लिए लगातार 72 दिन का उपवास किए थे।
वहीं वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देश भर के युवाओं को संस्कारवान बनाने में लगे हुए हैं। कार्यक्रम में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी गोपालाचार्य, काशी के प्रसिद्ध विद्वान डा0 राजेंद्र पचैरी, सीताराम सिंह विश्वबन्धु समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि आज से ठीक 25 साल पहले वर्ष 1995 में प्रयाग अर्ध कुम्भ के अवसर पर बसंत पंचमी के ही दिन स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ का पुरी पीठ के 145वें पीठाधीश्वर के रुप में अभिषेक हुआ था।
इस पीठ के प्रथम आचार्य आद्य शंकराचार्य के पहले शिष्य स्वामी पद्मपाद थे। पीठारोहण के बाद जगद्गुरु देव तीर्थ ने आद्य शंकराचार्य की परंपरा का पालन करते हुए पूरे देश में संस्कार यात्रा निकाली थी।
इस दौरान उन्होंने पूर्वोत्तर भारत और कश्मीर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में समाज से भटके लोगों के बीच बहुत काम किया और अपनी संस्कार यात्रा के माध्यम उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा। इसके अलावा धर्मान्तरण को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए स्वामी देवतीर्थ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार यज्ञों का आयोजन भी करते रहते हैं।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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