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प्रादेशिक

यूपी में कोरोना कमांडो का गठन, घर-घर पहुंचकर बचाएंगे लोगों की जान

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस चीन से निकलकर अब पूरी दुनिया में फैल चुका है। इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने से अबतक 3300 लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब 41 हो चुकी है।

तेजी से बढ़ते इस वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में पूरी तैयारी कर ली गई है। यूपी का एक हॉस्प‍िटल एक महीने से ‘कोरोना कमांडो’ तैयार कर रहा है जो कहीं भी जाकर कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज का इलाज कर सकते हैं। यह कोरोना कमांडो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक हॉस्प‍िटल में बनाए जा रहे हैं।

लखनऊ में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए केजीएमसी ने नई पहल की है। किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी डिपार्टमेंट ने कोरोना कमांडो बनाकर ट्रेनिंग शुरू की है। इसके लिए 1 महीने से चल रही ट्रेनिंग में कोरोनावायरस के पेशेंट को कैसे तुरंत लड़ा जाए और कैसे उनको राहत दी जाए, उससे निपटने के लिए सबके लिए क्विक रिस्पांस रेस्क्यू टीम यानी QRRT तैयार की है।

इस टीम के डॉक्टर को कोरोना कमांडो नाम दिया गया है जिनके पास कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इंटरनेशनल उपकरण मौजूद हैं। इनके पास भारत का सबसे बड़ा आईसीयू यूनिट है जिसके पास वह सारी मशीन एक बेड पर मौजूद है जो कोरोनावायरस से लड़ने के लिए और मरीज को आइसोलेशन  में रख कर ठीक करने में मदद करती है।

यहां तक की अगर कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सरकार को डॉक्टरों की टीम की जरूरत पड़ती है तो कोरोना कमांडो की टीम वहां जाकर भी इलाज कर सकती है। इसके लिए सभी कमांडो को वेल ट्रेंड किया गया है। इन्हें एचओडी वेदप्रकाश ने खुद ट्रेंड किया और अब ये कमांडो दूसरे अन्य अस्पतालों से आए डॉक्टरों को लगातार ट्रेनिंग दे रहे हैं जिससे वह कोरोनावायरस से तुरंत लड़ सकें।

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी डिपार्टमेंट, जिसमें भारत का बेस्ट आईसीयू है और सबसे मॉर्डन तकनीक है, वहां के यहां के एचओडी वेद प्रकाश ने डॉक्टरों की एक टीम तैयार की जो कोरोना कमांडो कहलाते हैं। यह डॉक्टर क्विक रिस्पॉन्स रेस्क्यू टीम की तरह  काम करते हैं।

डॉक्टर वेद प्रकाश के मुताबिक, यह टीम पिछले एक महीने से सरकारी अस्पताल सहित कई लोगों को कमांडो ट्रेनिंग दे चुके हैं। उनको इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि अगर कोरोनावायरस का मरीज आता है तो सबसे पहले क्या चीज यूज करेंगे और कैसे इसको आइसोलेशन में रख कर ट्रीटमेंट करेंगे।

इस ट्रेनिंग कैंप यानी हॉस्पिटल में हर वो हथियार यानी उपकरण मौजूद है जो कोरोनावायरस से लड़ने के लिए मौजूद है। यहां डॉक्टर वेद प्रकाश ने बेड पर रखी हुई डमी से मशीनों का प्रैक्ट‍िकल करके दिखाया और सभी मशीनों का उपयोग करके दिखाया। यही नहीं, यह भी बताया कि कैसे हम ट्रेनिंग देकर डॉक्टरों को मजबूत कर रहे हैं।

IANS News

महाकुंभ में बिछड़ने वालों को अपनों से मिलाएंगे एआई कैमरे, फेसबुक और एक्स भी करेंगे मदद

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प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगी योगी आदित्यनाथ सरकार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर महाआयोजन का डिजिटलाइजेशन कर रही है। यहां एआई की मदद से ऐसे कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं की हिफाजत में 24 घंटे तैनात रहेंगे। एआई लाइसेंस वाले इन कैमरों के साथ ही फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म भी बिछड़ने वाले परिजनों को खोजने में तत्काल मदद करेंगे।

मदद करेगा डिजिटल खोया पाया केंद्र

इस बार महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों को अपनों को खोने का डर नहीं सताएगा। मेला प्रशासन ने इसकी व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। इसके लिए डिजिटल खोया पाया केंद्र को एक दिसंबर से लाइव किया जाएगा। इसके माध्यम से 328 एआई लाइसेंस वाले कैमरे पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखेंगे। इन सभी कैमरों का परीक्षण कर लिया गया है। पूरे मेला क्षेत्र को इन विशेष कैमरों से लैस किया जा रहा है। योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर कैमरे इंस्टॉल करने का काम अपने अंतिम चरण में है। मेला क्षेत्र की चार लोकेशन पर इन विशेष एआई कैमरों का परीक्षण भी किया जा चुका है।
महाकुंभ में अब कोई भी अपना बिछड़ने नहीं पाएगा।

पलक झपकते काम करेगी तकनीक

महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रृद्धालुओं के लिए सरकार ने ऐसे डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है, जो तकनीक के सहारे चलेंगे और पलक झपकते ही अपनों से मिलाएंगे। इसमें हर खोए हुए व्यक्ति का डिजिटल पंजीकरण तुरंत किया जाएगा। पंजीकरण होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा की तलाश में जुट जाएंगे। यही नहीं, गुमशुदा की जानकारी को फेसबुक और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया जाएगा। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि परिवारों को जल्दी और आसानी से अपने प्रियजनों से जोड़ने का काम करेगी।

फोटो से मिलान करेगा एआई

महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तत्काल काम करेगा। यहां 45 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ऐसे में एआई कैमरे तत्काल फोटो खींचकर व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। इस काम में सोशल मीडिया भी तत्पर रहेगा।

पहचान का देना होगा प्रमाण

जो भी व्यक्ति महाकुंभ मेले में अपनों से बिछड़ेगा, उसका सुरक्षित, व्यवस्थित और जिम्मेदार प्रणाली के तहत ख्याल भी रखा जाएगा। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला को ले जाने से पहले सुनिश्चित करना होगा कि वह उसे पहचानते हैं और उनकी पहचान प्रमाणिक है।

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