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नेशनल

पीएम मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण

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लखनऊ। 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग श्री काशी विश्वनाथ धाम आज केदार धाम से वर्चुअली जुड़ा । मौका था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ धाम में आदिगुुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के पुनर्निर्माण के लोकार्पण के साथ ही मूर्ति का अनावरण और विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण।

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत कई शिवालयों में केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाइव प्रसारण किया गया। जिसे संतो ,महात्माओं और प्रबुद्ध जनों ने देखा। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम से अपने संसदीय क्षेत्र के श्री काशी विश्वनाथ धाम की चर्चा की। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण एवं दीपावली के भव्य आयोजन का भी किया ज़िक्र।

पहली बार देश में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग शुक्रवार को वर्चुली आपस में जुड़ गए। गोवर्धन पूजा वाले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारं नाथ धाम में थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम में आदि गुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के पुनर्निर्माण के लोकार्पण के साथ ही मूर्ति का अनावरण और विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किए।

उनके संसदीय क्षेत्र के शिवालयों में संतो महात्माओं और वैदिक ब्राह्मणों ने उनके कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा।​श्री काशी विश्वनाथ धाम ,गौरी केदारेश्वर ,मारकण्डेय महादेव,शूलटंकेश्वर और अन्य शिवालयों में इस आयोजन का सीधा प्रसारण हुआ।

काशी का संत समाज केदारनाथ के आयोजन का साक्षी बना। कार्यक्रम के साक्षी बने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्र ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री सनातन धर्म के लिए बड़ा काम कर रहे है। चारो धाम ,द्वादश ज्योतिर्लिंग समेत अन्य धार्मिक स्थलों के विकास से आर्थिक उन्नति भी होगी। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री जी ने संत ,महात्माओं का मान सम्मना बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने केदारनाथ धाम से अपने संसदीय क्षेत्र के श्री काशी विश्वनाथ धाम की भी चर्चा की। केदारनाथ में दर्शन पूजन के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘उत्तर प्रदेश में अयोध्या में राम मंदिर भव्य निर्माण हो रहा है। हाल ही में अयोध्या में संपन्न भव्य दीपावली के भव्य आयोजन का भी ज़िक्र किया।

उन्होंने कहा कि काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ धाम का काम बहुत तेजी से हो रहा है। धाम का काम अब पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। बनारस से सारनाथ को कुशीनगर,बोधगया, समेत सभी नगरों से जोड़कर बुद्ध सर्किट का स्वरूप दिया जा रहा है।

विश्व में भगवान् बुद्ध से जुड़े पर्यटकों को आमंत्रित करने के लिए बड़े-बड़े कार्य यहां पर किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘देश के चारों धाम में पर्यटन को बेहतर परिवहन के साथ जोड़ा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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