Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मनोरंजन

The Kashmir Files: कश्मीरी पंडितों की आप-बीती को बखूबी दर्शाती है फिल्म, जानिए रिव्यु

Published

on

Loading

जम्मू-कश्मीर को लेकर कई तरह की कहानियां अभी तक पर्दे पर उतरी हैं। ज्यादातर में कश्मीर में किस तरह आतंकवाद ने अपनी जड़ें जमाईं उसपर फ़ोकस रहा है। लेकिन अब एक फ़िल्म आई है, जिसमें 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के राज्य से बेघर होने की कहानी को दर्शाया गया है। कश्मीरी पंडितों के इस दर्द को अभी तक बड़ी स्क्रीन पर देखने का काफ़ी कम मौक़ा मिला है, लेकिन अब डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री इसी कहानी को ‘द कश्मीर फाइल्स’ में समेट कर लाए हैं।

2 घंटे 40 मिनट की द कश्मीर फाइल्स के कुछ हिस्से आपको झकझोर सकते हैं। फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों संग हुई उस घटना को बयां करती है, जिसने उन्हें आतंकियों ने अपने ही घर से भागने पर मजबूर कर दिया था। फ़िल्म देश के टॉप कॉलेज की पॉलिसी, मीडिया और उस वक़्त की सरकार पर कटाक्ष करती है, इस फिल्म के जरिए विवेक 30 साल से दर्द लिए कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने की बात करते हैं।

कहानी

द कश्मीर फाइल्स एक टाइम ट्रैवल के तौर पर काम करती है, जिसमें 1990 के वक़्त को मौजूदा पीढ़ी के साथ जोड़ने का काम किया गया है। दिल्ली में पढ़ने वाला छात्र अपने दादा की अस्थियों को विसर्जित करने कश्मीर जाता है। यहां पर ही उसकी मुलाक़ात दादा के दोस्तों से होती है और फिर पुरानी कहानियां निकलकर आती हैं कि किस तरह कश्मीरी पंडितों को उनके घर से खदेड़ा गया था। यहां से ही कहानी को रिवाइंड में मोड़ दिया गया है, जिसमें 1990 के वक़्त में किस तरह चीज़ें फैलीं और कश्मीरी पंडितों को भगाया गया, ये दर्शाया गया है। इसी दलदल में दोस्ती, सरकारी मशीनरी।

डायरेक्शन

फ़िल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री हैं, जो इससे पहले लालबहादुर शास्त्री की मौत से जुड़ी मिस्ट्री पर एक फ़िल्म द ताशकंद फाइल्स बना चुके हैं। इसके अलावा लेफ़्ट विंग को लेकर बनी उनकी फ़िल्म बुद्धा इन अ ट्रैफ़िक जाम ने भी काफ़ी सुर्ख़ियां बटोरी थीं। द कश्मीर फाइल्स उसी कड़ी का एक हिस्सा नज़र आती है, जिसमें ग्राउंड की कुछ कहानियों को पर्दे पर दिखाया गया है।

क्योंकि कहानी कश्मीर की है, ऐसे में विज़ुअल का जादू दिखाना आसान रहा इसलिए सिनेमेटोग्राफ़ी यहां पर नंबर मार जाती है। फ़िल्म में कुछ हिस्से ऐसे भी हैं, जिसमें उस नरसंहार के दर्द को बिखेरा गया है। फ़िल्म 170 मिनट की है, ऐसे में लंबी कहानी कुछ पल आपको बोर भी करती है और आख़िरी तक खुद को बांधकर रखना एक मुश्किल काम नज़र आता है। लेकिन कहानी को ख़त्म करने की दिलचस्पी आपको रोक सकती है। फिल्म के एक पहलू को दिखाते हुए उसपर तंज कसे गए हैं।

एक्टिंग

फिल्म की कास्टिंग के मामले में डायरेक्टर का चयन उनकी कहानी के हिसाब से सटीक बैठता है। मानो एक-एक एक्टर उसी किरदार के लिए बना हो। अनुपम खेर ने पुष्करनाथ के दर्द को बखूबी बयां किया है, वहीं दर्शन एक कंफ्यूज्ड यूथ के रूप में अपने किरदार को पूरी ईमानदारी से जीते हुए दिख रहे हैं। कहानी के विलेन फारूख मल्लिक बिट्टा के रूप में चिन्मय मांडलेकर अपने किरदार को एक लेवल ऊपर लेकर गए हैं, जो फ़िल्म का बेहतरीन हिस्सा साबित हो सकता है। प्रोफ़ेसर के रोल में पल्लवी जोशी काफी प्रभावशाली लगी हैं। इनके अलावा फ़िल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अतुल श्रीवास्तव, प्रकाश बेलावड़ी, पुनीत इस्सर भी मायूस नहीं करते हैं।

मनोरंजन

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का जन्मदिन आज, जानिए उनके और गौरी के मजेदार किस्से के बारे में

Published

on

Loading

मुंबई। बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का आज जन्मदिन है। वह अब 59 साल के हो गए हैं। शाहरुख खान का जन्म 2 नंवबर, 1965 को नई दिल्ली में हुआ था। शाहरुख खान की जब भी बात की जाती है। तो उनकी पत्नी गौरी का भी नाम सामने आता हैं।

शाहरुख खान और गौरी खान की गिनती बॉलीवुड के क्यूट कपल में होती है। एक तरफ शाहरुख जहां सुपरस्टार हैं वहीं गौरी देश की बड़ी इंटीरियर और फैशन डिजाइनर हैं। ये बात तो सभी जानते हैं कि गौरी पंजाबी परिवार से आती हैं और शाहरुख मुस्लिम फैमिली से लेकिन दोनों के बीच कभी घर्म की दीवार नहीं आई।

शाहरुख खान और गौरी खान की इंटरकास्ट शादी हुई थी। शाहरुख ने गौरी के पैरेंट्स को इंप्रेस करने के लिए पांच साल तक हिंदू होने का नाटक किया और आखिरकार दोनों ने 25 अक्टूबर, 1991 को शादी कर ली थी। एक इंटरव्यू में शाहरुख ने बताया था कि गौरी की फैमिली काफी ओल्ड फैशन थी, इसलिए दोनों की शादी में काफी वक्त लगा। शादी के बाद रिसेप्शन पार्टी में कुछ ऐसा हुआ कि गौरी की फैमिली हैरान रह गई।

शाहरुख खान ने गौरी छिब्बर के परिवार वालों के साथ अपनी शादी के रिसेप्शन में एक प्रैंक किया था जिसके बाद वो सभी हैरान रह गए थे। शाहरुख ने बताया था, ”शादी के बाद रिसेप्शन में सभी वहां बैठे थे और मैं करीब रात 1.15 पर वहां आया था। मैंने सुना उसके परिवार के लोग आपस में बात कर रहे थे कि ये मुस्लिम लड़का है, क्या गौरी का नाम बदल देगा? क्या वो मुस्लिम बन जाएगी, क्या ये उसे बुर्का पहनने को मजबूर करेगा?”

शाहरुख ने बताया, “मैं सभी की बातें सुन रहा था। मैंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा ओके गौरी, बुर्का पहनो और अब चलो नमाज पढ़ते हैं। पूरा परिवार हैरान होकर देख रहा था कि इतनी जल्दी धर्म बदल दिया, मैंने उनसे कहा अब से ये हर समय बुर्का पहनेगी, घर से नहीं निकलेगी और हम इसका नाम आयशा रख देंगे और वो ऐसे ही रहेगी।” हालांकि शाहरुख ने गौरी के परिवार के साथ मजाक किया था।

Continue Reading

Trending