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ज्ञानवापी प्रकरण पर आज अहम फैसला, धारा 144 लागू; प्रशासन अलर्ट
वाराणसी। धर्मनगरी वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में आज सोमवार का दिन बेहद अहम है। आज ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों के संरक्षण को लेकर दायर वाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लंबी चली सुनवाई के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता पर फैसला सुनाएगी।
जिला जज के फैसले पर सभी की नजरें हैं। फैसले से यह तय हो जाएगा कि देश की आजादी के दिन 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी में मस्जिद थी या मंदिर। इसके साथ ही प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 लागू होगा या नहीं। फैसले का असर ज्ञानवापी से संबंधित निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट में लंबित कई मुकदमों पर भी पड़ेगा। कोर्ट आज दोपहर 2 बजे अपना फैसला सुनाएगी।
ज्ञानवापी मस्जिद के पार्श्व भाग में स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन के साथ 1993 के पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग को लेकर नई दिल्ली निवासी राखी सिंह और वाराणसी की लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से सिविल जज की अदालत में वाद दाखिल दाखिल किया गया था।
इस वाद की सुनवाई के दौरान बीते मई महीने में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत के आदेश पर पूरे ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ। चार दिनों तक चले सर्वे में खींची गई करीब 1500 तस्वीरों और 12 घंटे की विडियोग्राफी के साथ वकील कमिश्नर की अदालत में पेश रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासा हुए।
हिंदू पक्ष के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में जगह-जगह प्राचीन मंदिर के पुख्ता प्रमाण मिले तो वजूखाने में शिवलिंग की आकृति वाला कथित फव्वारा मिलने पर आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था। वकील कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे खंभे और इमाम के बैठने वाले स्थान के ऊपर भी त्रिशूल, डमरू और स्वास्तिक के चिह्न दिखाई दिए।
सर्वे के खिलाफ मामला पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट
यह मामला तब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जब ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी की ओर से सिविल जज के सर्वे कराने के आदेश को चुनौती दी गई। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद का दावा था कि 500 साल पुरानी मस्जिद देश की आजादी के दिन भी वहां थी। ऐसे में प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 के तहत सिविल जज का सर्वे करवाने का आदेश गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि यदि किसी धर्म स्थल का हाईब्रिड कैरेक्टर हो तो उसके निर्धारण के लिए जांच हो सकती है। साथ ही सिविल जज की अदालत में दायर वाद के सीपीसी ऑर्डर-7 रूल 11 से बाधित होने यानी मेंटेनेबिलिटी पर जिला जज को सुनवाई करने का आदेश दिया था।
दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे
जिला जल की अदालत में बीते 26 मई से सुनवाई शुरू होने पर पहले चार दिन मुस्लिम पक्ष और बाद में वादी हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं। इसके बाद दोनों पक्षों ने जवाबी बहस की और लिखित बहस भी दाखिल की। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है। आजादी के पहले से वक्फ ऐक्ट में दर्ज है। इससे संबंधित दस्तावेज भी पेश किए गए।
वहीं मस्जिद के संबंध में 1936 में दीन मोहम्मद केस में सिविल कोर्ट और 1942 में हाई कोर्ट के उस फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि यह मुकदमा सीपीसी ऑर्डर-7 रूल 11 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है।
उधर, हिंदू पक्ष की ओर से वक्फ संबंधी दस्तावेजों को फर्जी बताने के साथ कहा गया कि ज्ञानवापी में नीचे आदि विश्वेश्वर का मंदिर है। ऊपर का स्ट्रक्चर अलग है। जब तक किसी स्थल का धार्मिक स्वरूप तय नहीं हो जाता तब तक प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट-1991 प्रभावी नहीं माना जाएगा। जिला जज ने 24 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जो आज सोमवार को सुनाया जाएगा।
धारा-144 लागू, प्रशासन अलर्ट
ज्ञानवापी प्रकरण के मद्देनजर वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने रविवार को कमिश्नरेट क्षेत्र में धारा-144 लागू करने का आदेश दिया है। पुलिस और प्रशासनिक अमला हाई अलर्ट पर है। सभी थानेदारों, एसीपी, एडीसीपी और डीसीपी को अतिरिक्त सतर्कता के साथ ड्यूटी करने को कहा गया है।
पुलिस कमिश्नर ने ऑनलाइन बैठक में काननू व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने की तैयारी की समीक्षा की। सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है। पुलिस धर्मगुरुओं के लगातार संपर्क में है। प्रशासन की रोक के बावजूद ज्ञानवापी मामले में पैरोकार डॉ. सोहन लाल आर्य ने फैसला पक्ष में आने पर धर्म यात्रा निकालने की घोषणा की है।
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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