प्रादेशिक
हमेशा हमसफ़र रहेंगी ये किताबें
एक ज़माने में किताबें लोगों के जीवन का अहम हिस्सा होती थीं और वह बेहद खुशी से अक्सर अपना पूरा दिन किताबों के साथ गुजारना पसंद करते थे। लेकिन आज वक्त बदल चुका है। टेलीविजन, मोबाइल, कम्प्यूटर और तमाम आधुनिकताओं के कारण लोग किताबों से दूर होते जा रहे हैं।
किताबों की लोगों के जीवन में अब क्या अहमियत है, ये जानने के लिए हमने वर्ल्ड बुक्स डे के मौके पर युवा वर्ग से कुछ सवाल पूछे। हमने युवाओं से पूछा कि वह किताबों से कितना जुड़ाव महसूस करते हैं? क्या वे अब भी किताबे पढ़ते हैं, अगर हां तो आखिरी किताब कब पढ़ी थी और कौन सी?? इन सवालों पर हमें मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। कुछ लोग इस इंटरनेट की दुनिया में भी किताबें पढ़ना पसंद करते है तो किसी ने साल भर से कोई किताब नहीं पढ़ी, और कुछ ने तो ये कहते हुए साफ मना कर दिया कि उन्हें बुक्स में कोई इंट्ररेस्ट ही नहीं। इसकी एक वजह हम व्यस्तता भी कह सकते हैं। लोगो के पास आज इतना टाइम ही नहीं है कि वे किताबों की ओर ध्यान दें या उनके साथ अपना खाली समय गुज़ारें।
इन हालात में किताबों की बिक्री की बात करें तो उनमें कमी आना लाज़मी है। इस बारे में हमने बात की यूनिवर्सल बुक डिपो के ओनर चंद्रप्रकाश से। जिनका कहना है कि किताबे पढ़ने वाले लोगो की संख्या कम नहीं हुई है लेकिन इस बढ़ती पापुलेशन के कंपैरिजन में परसेंटेज ज़रूर कम हुआ है। आज की खबर ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरसद ज़ाफ़री से जब किताबों की कम होती अहमियत के बारे में पूछा तो उन्होंने समय की कमी और इंटरनेट को इसकी वजह माना।
वजह जो भी हो, लोगों के पास वक़्त हो या न हो, किताबें हमेशा हमारी अच्छी दोस्त थी और रहेंगी, अकेलेपन को दूर पहले भी करती थी और अब भी करेंगी बस समझना आपको है और अपनाना भी आपको ही है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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