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आपदाओं से निपटने में सक्षम होता भारत

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नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप, मानवीय प्रकृ्ति, त्व रित राहत अभियान, 26/11 हमले, एनएसजी की टीम, रक्षा विदेश व कैबिनेट सचिव, नरेंद्र मोदी, जम्मू –कश्मीरर, प्रलयंकारी बाढ़, यमन संकट

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आपदा अवसर नहीं देती। प्राकृतिक आपदाएं अपनी गति के अनुसार चलती हैं। प्रकृति से ज्‍यादा छेड़छाड़ का नतीजा कभी-कभी बहुत ज्‍यादा दुःखदायी होता है। नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप ने मानव पर प्रकृति की श्रेष्‍ठता एकबार फिर साबित कर दी है। कुदरत के कहर का शिकार खूबसूरत देश नेपाल देखते ही देखते मल‍बे में तब्‍दील हो गया। प्रलंयकारी भूकंप ने हजारों जिंदगियों की कुर्बानी ली। कुदरत द्वारा दिए गए इस जख्‍म के निशान वर्षों तक मानव जाति को टीसते रहेंगे।

मानवीय प्र‍कृति के अनुसार जिंदगी कभी रुकती नहीं है। बड़े से बड़े प्राकृतिक या मानवीय आपदाओं को झेलने के बाद भी मानव जाति फिर खड़ी होती है यही उसकी ताकत भी है। इस प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ एक बात पर चर्चा जरूरी है। नेपाल में आए भूकंप के बाद त्‍वरित राहत अभियान के जरिए भारत एक बार फिर पूरी दुनिया में प्रशंसा का पात्र बन गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने आपदा के बाद जिस तरह से त्‍वरित एक्‍शन लेते हुए एनडीआरएफ की टीम पूरे साजोसामान के साथ नेपाल में भेजी, उसने भारत की कूटनीतिक क्षमता के साथ-साथ प्रबल मानवीय संवेदना के पहलू को उजागर किया है।

यह वही देश है जहां 26/11 हमले के बाद एनएसजी की टीम मुंबई भजने में 12 घंटे लग गए थे। नेपाल त्रासदी को लेकर नरेंद्र मोदी कितने संवदेनशील थे, वह इस बात से साबित होती है कि मोदी ने 24 घंटे के अंदर तीन बार अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ मीटिंग की। इसके अलावा रक्षा, विदेश व कैबिनेट सचिव की एक उच्‍चस्‍तरीय टीम बनाकर खुद पूरे राहत कार्य की मानीटरिंग की। मोदी की विश्‍व नेता की छवि को देखते हुए उनसे इसी तरह के त्‍वरित निर्णय की उम्‍मीद की जानी चाहिए।

किसी देश के शक्तिशाली होने की एक कसौटी आपदा के समय उससे निपटने की उसकी क्षमता से भी आंकी जाती है और इस कसौटी पर भारत पूरी तरह से खरा उतरा है। चाहे वह जम्‍मू–कश्‍मीर में पिछले दिनों आई प्रलयंकारी बाढ़ रही हो अथवा यमन से अपने देशवासियों के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देशों के अलावा दर्जन भर देशों के नागरिकों को संकट के समय वहां से निकालने का सवाल रहा हो, भारत ने अपनी ताकत पूरी दुनिया को दिखाई है। यमन संकट के समय तो अमेरिका जैसे सर्वसाधन संपन्‍न राष्‍ट्र ने हमसे मदद मांगी। यह कोई छोटी बात नहीं है, भारतीयों को इस पर गर्व करना चाहिए।

नेपाल त्रासदी के समय सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल सहित देश की निजी टेलीकॉम कंपिनयों एयरटेल, आइडिया व अन्‍य ने जिस तरह से अपने नेटवर्क के माध्‍यम से संकटग्रस्‍त लोगों से उनके अपनों की बात कम दरों या मुफ्त में करवाने में तत्‍परता दिखाई है उसकी प्रशंसा भी की जानी चाहिए। इसके अलावा सर्च इंजन गूगल ने लोगों की तलाश करने में काफी मदद की।

दुःख और सवाल सिर्फ इस बात का है कि जिस तरह की सराहना भारत के अन्‍य राजनीतिक दलों, मीडिया व समाजसेवी संगठनों द्वारा उक्‍त आपदाओं से निपटने वाली टीम को मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। आखिर क्‍यों? क्‍या सिर्फ इसलिए कि केंद्र में मोदी सरकार है या यह लोग भारत को शक्तिसंपन्‍न नहीं देखना चाहते। सवाल चाहे जो भी हो जवाब सिर्फ एक ही है कि भारत को शक्तिशाली राष्‍ट्र बनने और पूरी दुनिया को भारत की क्षमता का लोहा मनवाने से अब कोई भी नहीं रोक सकता।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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