प्रादेशिक
कथा भी उसका उतना ही कल्याण करती है, जितनी व्यक्ति की श्रद्धा: प्रेमभूषण जी महाराज
लखनऊ। भगवान और भगत के बीच भक्ति का ही एकमात्र नाता होता है। नौ प्रकार के भक्ति की चर्चा नवधा भक्ति के प्रसंग में वर्णित है। इसमें से कोई भी एक भक्ति पथ को पकड़ कर के मनुष्य अपना जीवन सँवार सकता है। भगवान और सत्कर्मों में जिसकी जितनी श्रद्धा होती है, उतना ही हमारा कल्याण भी होता है।
उक्त बातें लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी , दयालबाग में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा की पूर्णाहुति सत्र में पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कहीं। सरस् श्रीराम कथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए जनप्रिय कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री सीताराम विवाह के आगे के प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि मनुष्य को संसार की चर्चा और चिंता करने से पहले स्वयं के बारे में विचार करने की आवश्यकता है। हमें अपने स्वयं के लिए भगवान के आश्रय में ले जाने की आवश्यकता होती है किसी और के लिए नहीं। भक्ति पथ पर बने रहने के लिए ही निरंतर भगवान की कथा का श्रवण करना आवश्यक है। केवल जगदीश में रमने से ही कल्याण होगा।
पूज्यश्री ने कहा कि गुरु बनाया नहीं जा सकता है। गुरु तत्व की उपस्थिति से गुरु होते हैं। हम गुरु की शरण में जाते हैं। मंत्रदीक्षा उसी से लो जिसका मार्गदर्शन लेने आप आ जा सको। दीक्षा एक ऐसा संस्कार है जिससे मनुष्य जीवन में चैतन्यता आ जाती है। सत्य शाश्वत और कड़वा है और कड़वा ही फायदेमंद होता है। इसलिए सत्य सुनने का अभ्यास करना चाहिए। सत्य श्रेष्ठ है जिससे झूठे सदा घबड़ाते हैं। महाराज जी ने श्री राम कथा गायन के क्रम में सुन्दर कांड, लंकाकांड और श्री राम राज्याभिषेक से जुड़े प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि अगर अपने जीवन में पछतावे से बचना है तो मन में जैसे ही कोई शुभ संकल्प आता है, सत्कर्म का संकल्प आता है तो उसे तुरंत पूरा करने के उद्यम में लग जाना चाहिए। संकल्प यदि दृढ़ हो तो भगवान स्वयं उसे पूरा कराने में मदद करते हैं। लेकिन अगर संकल्प में भी कोई चतुराई रखता है तो ऐसे व्यक्ति को बाद में भुगतना भी पड़ता है।
किसी भी सत्कर्म अथवा परमार्थ के कार्य को कभी भी टालने का प्रयास न करें। मनुष्य सोचता है कि सब व्यवस्थित हो जाएगा तो फिर मैं वैसा करूंगा। लेकिन ऐसा सोचने वाले के पास बाद में न समय रहता है ना उसके शरीर की स्थिति रहती है, जिससे कि वह तीर्थाटन और भ्रमण आदि का कार्यक्रम बना सके। उन्होंने कहा कि जो भगवत नाम का कीर्तन करते हैं और भगवत भक्ति में रंगे रहते हैं। उन्हें कभी बुढापा नहीं आता। आज कथा और भगवत कार्य में युवाओं की रूचि बढ रही है यह खुशी की बात है। प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि सारे सत्कर्मों का फल भगवान के चरणों में आशक्ति ही है। इसलिए जगत में नहीं जगदीश में रमो। भगवत नाम का कीर्तन तुच्छ बनकर करो।
सुग्रीव द्वारा माता सीता का पता लगाने से संबंधित संकल्प को सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि सुग्रीव का संकल्प राम जी के ही भरोसे है। क्योंकि वह तो बाली के द्वारा मारकर भगाए हुए हैं और खुद ही छिपकर रह रहे हैं। फिर भी हमें यह प्रसंग बताता है कि अगर कोई हम पर भरोसा करता है तो हम भाग्यशाली हैं। क्योंकि हम भरोसा करने लायक हैं। साथ ही उस व्यक्ति के भरोसे की रक्षा करने का कर्तव्य भी बनता है और अगर कोई इस भरोसे को तोड़ता है तो व्यवहार में इसे हम कृतघ्नता कहते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्संगी से भगवत चर्चा अवश्य करनी चाहिए। साधु या भगत की कोई निज कथा नहीं होती कथा तो सिर्फ भगवान की होती है। भक्त को सर्वकाल भगवान के भरोसे रहना चाहिए। उसे कभी संदेह नहीं करना चाहिए। जो भजनी होता है वो सदा भगवान के भरोसे में रहता है। भगवान के श्रीचरणों में प्रेम बढेगा तो मन की शुद्धता भी बढेगी। सत्कर्म और भजनों में रुचि बढेगी तो भक्ति भी बढेगी।कथा परमात्मा के श्रीचरणों में प्रेम बढाती है। महाराज श्री ने बताया कलिकाल का प्रधान धर्म दान है। हम सिर्फ उपदेश न करें बल्कि दान की सहज प्रवृत्ति रखें। चींटी को दाना चिड़ियों को जल और भूखों को अन्नदान करें यही धर्म है। किसी भी परिस्थिति में हमें शीलता का त्याग नहीं करनी चाहिए। भक्ति में लघुता रहती है जो लघुता में रहने के अभ्यासी हो जाते हैं उनमें स्वत ही बडपप्पन आ जाता है। भक्त कभी आडंम्बरी नहीं होता है। वो सबसे प्रेम बांटता है। उन्होंने बताया कि भगवान सबमें हैं। फिर भी हमसे बुरे कर्म इसलिए हो जाते हैं कि क्योंकि हम मन मुखिया हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि भोजन उतना ही करना चाहिए कि भीतर के भगवान को क्लेश न हो। उन्होंने कहा कि मंदिर बनान महत्वपूर्ण नहीं आप जहां जाएं वो जगह ही मंदिर हो जाए। इस कथा के आयोजक उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह , सह आयोजक दयाल ग्रुप के चेयरमैन राजेश सिंह दयाल और माता विद्या सिंह ने व्यास पीठ पर उपस्थित भगवान का पूजन किया और भगवान की आरती की।
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर, एमएलसी विनीत सिंह, विधायक सुभाष त्रिपाठी सहित
कई मंत्री और विशिष्ट अतिथि कथा में उपस्थित रहे। पूर्णाहुति स्तर की कथा का श्रवण करने के लिय बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे। पूज्यश्री के सुमधुर कंठ से निकले दर्जनों भजनों से हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण झूम कर नृत्य करने के लिए बाध्य हो गए।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि
लखनऊ | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।
देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई
🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।
🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।
🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।
इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.
‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।
मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!
यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…
वनावरण
1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)
भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण
1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)
सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद
1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड
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