मुख्य समाचार
नक्सली समस्या के हल की सकारात्मक कोशिश
कहते हैं कर्ज और मर्ज कभी नहीं पालना चाहिए। छत्तीसगढ़ सहित भारत के विभिन्न प्रांतों में लाइलाज मर्ज बन चुकी नक्सल समस्या को समाप्त करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा एक सकारात्मक कदम कहा जा सकता है। छग के घोर नक्सल पीडि़त इलाके दंतेवाड़ा में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस पहली यात्रा से नक्सल समस्या के समाधान में क्या मदद मिलेगी यह तो समय बताएगा परंतु छग के मुख्यमंत्री रमन सिंह को मोदी के इस दौरे ने काफी ज्यादा आत्मिक संतोष प्रदान किया होगा।
जिस तरह से पिछले कई सालों से डा. रमन सिंह प्रदेश की नक्सल समस्या से केंद्र की किसी खास मदद के बगैर निपटते आए हैं उसमें पीएम मोदी द्वारा अपने दौरे के दौरान की गई 24 हजार करोड़ की विकास परियोजनाओं की घोषणा बहुत मदद करेगी। वास्तव में नक्सल समस्या मुख्य रूप से विकास योजनाओं में विभिन्न सरकारों द्वारा किए गए भेदभाव के चलते गरीबों के और गरीब होते जाने की वजह से उपजी समस्या है, जिस पर कई राजनीतिक दलों ने खूब सियासी चालें चली हैं।
छग के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी पर तो यहां तक आरोप लगे कि उन्होंने नक्सलवाद को अपने राजनैतिक हितों की खातिर खूब बढ़ावा दिया। अब यह तो एक राजनैतिक आरोप हैं जिनका सियासी जवाब भी दिया गया होगा लेकिन एक बात कहनी जरूरी है कि सभी राजनैतिक दलों को कम से कम किसी राष्ट्रीय समस्या पर तो सियासी रोटी नहीं सेंकनी चाहिए। कितना अच्छा हो कि देश की इस तरह की समस्याओं का हल सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने राजनैतिक मतभेदों को भुलाकर निकाले।
नक्सली कोई विदेशी आक्रांता अथवा आतंकी नहीं हैं, वे हमारे ही देश के भटके हुए लोग हैं जिनका व्यवस्था द्वारा किसी न किसी स्तर पर शोषण हुआ है लेकिन किसी भी शोषण का हल बंदूक उठाना नहीं है। सभी समस्याओं का हल बातचीत के जरिए संभव है। पीएम मोदी ने यही आह्वान नक्सलवादियों से किया है कि आप सिर्फ पांच दिनों के लिए बंदूक छोड़कर देखें। देखने वाली बात यह है कि मोदी की सोच कितनी सकारात्मक और आशावादिता की है। ऐसी सोच की सराहना होनी चाहिए।
नक्सलवाद या किसी भी तरह का आतंकवाद सभ्य समाज में कोई भी जगह नहीं बना सकता। बंदूक कभी भी विकास का विकल्प नहीं हो सकती। नक्सलियों को चाहिए कि वो सरकार द्वारा बातचीत की पहल का लाभ उठाएं, अपनी समस्याएं हुक्मरानों के सामने रखें और बंदूक का रास्ता छोड़कर विकास के पथ पर चलें इसमें उन्हें भी सुख मिलेगा और दूसरों को भी।
नेशनल
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
सुबह डल नजर आता है चेहरा, तो अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय
-
आध्यात्म17 hours ago
नौकरी में चाहिए प्रमोशन तो अपनाएं ज्योतिष के ये उपाय
-
खेल-कूद19 hours ago
विराट कोहली ने की है 12वीं तक पढ़ाई, इस सब्जेक्ट का नाम सुनकर ही आ जाता था पसीना
-
नेशनल1 day ago
दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल, कई इलाकों में AQI 4OO पार
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग
-
खेल-कूद1 day ago
HAPPY BIRTHDAY KING KOHLI : भारतीय क्रिकेट टीम के किंग विराट कोहली आज मना रहे हैं अपना 36वां जन्मदिन
-
नेशनल2 hours ago
लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर, पीएम मोदी, नितीश कुमार समेत बड़े नेताओं ने जताया शोक
-
खेल-कूद23 hours ago
फुटबॉल खेलते वक्त मैदान पर गिरी बिजली, एक प्लेयर की मौत, वीडियो वायरल