नेशनल
भारत-मंगोलिया के बीच 14 समझौते, एक अरब डॉलर की मदद देगा भारत
उलान बतोर। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंगोलिया के प्रधानमंत्री चिमद सेखानबिलग ने रविवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान 13 समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें हवाई सेवा और साइबर सुरक्षा समझौते भी शामिल हैं। मोदी और सेखानबिलग ने स्टेट पैलेस में वार्ता के दौरान 13 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के अलावा नई द्विपक्षीय कूटनीतिक साझेदारी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने एक बयान में यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगोलिया को एक अरब डॉलर ऋण के और कैंसर के इलाज के लिए उपकरण की भी पेशकश की।
दोनों पक्षों ने एक संशोधित हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत और मंगोलिया के बीच अंतर्राष्ट्रीय हवाई सेवा के पूर्व प्रबंध में बदलाव किए गए हैं। दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन संकल्प के पक्ष में हैं। दोनों देशों ने सजायाफ्ता कैदियों के हस्तांतरण से संबंधित समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे कैदियों को उनके परिवार को सौंपने और उनके सामाजिक पुनर्वास की प्रक्रिया में आसानी होगी।
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, पशु स्वास्थ्य एवं डेयरी के क्षेत्र में सहयोग के लिए किया गया समझौता डेयरी एवं पशु रोग नियंत्रण के उपायों में डेयरी, गुणवत्ता नियंत्रण, आधुनिक तकनीक को अपनाने और विपणन के क्षेत्र में साझा सहयोग की दृष्टि से किया गया है। औषधि एवं होम्योपैथी की पारंपरिक प्रणाली के क्षेत्र में किए गए समझौते का लक्ष्य प्रशिक्षण एवं अभ्यास के लिए विशेषज्ञों के आदान-प्रदान एवं फार्माकोपेयास एवं फार्मूलरीज को आपसी मान्यता के रूप में व्यापक सहयोग करना है।
दोनों पक्षों ने मंगोलिया के रक्षा मंत्रालय में साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मंगोलियाई सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित भी करेगा। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थान एवं छात्रवृत्ति देने के क्षेत्र में भी समझौते किए गए। मंगोलिया में भारत-मंगोलिया संयुक्त मित्रता विद्यालय की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अंतर्गत भारत और मंगोलिया संयुक्त रूप से विद्यालय की स्थापना करेंगे और खुले, समावेशी एवं लचीले पाठ्यक्रम के माध्यम से हर एक बच्चे को व्यक्तिगत एवं पेशेवर रूप से सक्षम और योग्य बनने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
वर्ष 2015-2018 के लिए सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग के लिए भी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत प्रदर्शनियों, फिल्म महोत्सवों के आयोजन एवं विशेषज्ञों, विद्यार्थियों और पत्रकारों के आदान-प्रदान के माध्यम से संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद एवं मंगोलिया के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के बीच सहयोग के लिए भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अंतर्गत दोनों पक्ष अपने पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक सुरक्षा मसलों, आतंकवाद निरोध, खुफिया सहयोग एवं आदान-प्रदान के मुद्दों पर नियमित रूप से एक दूसरे से सलाह-मशविरा करेंगे।
भारत के विदेश मंत्रालय एवं मंगोलिया के विदेश मंत्रालय के बीच सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं खासकर राजनीतिक, आर्थिक, व्यावसायिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी एवं सांस्कृतिक सहयोग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह समझौता उस मौजूदा समझौते का स्थान लेगा, जो 17 सितंबर, 1996 को किया गया था।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर किए गए हस्ताक्षर जानकारियों एवं कर्मियों के आदान-प्रदान के तौर तरीकों, उपकरणों के हस्तांतरण एवं संयुक्त शोध या तकनीकी परियोजनाओं, अक्षय ऊर्जा संसाधनों के निर्धारण आदि के माध्यम से सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा पर ध्यान देने के उद्देश्य से किए गए हैं। सीमा सुरक्षा बलों के बीच सहयोग पर किया गया समझौता क्षमता निर्माण, बेहतरीन परंपराओं के आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास के आयोजन, सीमा सुरक्षा निगरानी और चौकसी के लिए तकनीकों के क्षेत्र में भारतीय गृह मंत्रालय एवं मंगोलिया के जनरल अथॉरिटी फॉर बॉर्डर प्रोटेक्शन के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से है। टाटा मेमोरियल सेंटर ऑफ इंडिया एवं नेशनल सेंटर ऑफ मंगोलिया के बीच हुआ समझौता भाभाट्रॉन-2 टेली-थेरेपी यूनिट और रेडियोथेरेपी सिम्युलेटर के लिए उपहार है।
इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय के विदेश सेवा संस्थान एवं मंगोलिया के विदेश मंत्रालय की कूटनीतिक अकादमी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर प्रशिक्षुओं, विद्यार्थियों, संकाय सदस्यों और विशेषज्ञों को दोनों देशों में आदान-प्ररान के जरिए उनमें कौशल विकास और दोनों देशों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया है।
इससे पूर्व मोदी ने मंगोलिया की संसद को संबोधित करते हुए कहा, ” मैं मंगोलिया के प्रधानमंत्री को यहां संस्थानों, बुनियादी ढांचा और मानव संसाधनों के विकास के लिए एक अरब डॉलर के ऋण के अपने फैसले से अवगत करा रहा हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत दोनों देशों के परमाणु सहयोग के तहत मंगोलिया को कैंसर के इलाज में उपयोग आने वाले उपकरण प्रदान करेगा। इसके साथ ही उन्होंने मंगोलिया में कैंसर के इलाज में सहायक भाभात्रॉन उपकरण को भी सुपुर्द किया।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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