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अखाड़े में तब्दील हुई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना पहला कार्यकाल जहां पर खत्म किया था, दूसरा कार्यकाल भी बिल्कुल वहीं से शुरू किया है। ऐसा लगता है मानो विवाद ही आप सरकार की पहचान बन गए हैं। एक खत्म होता है तो कुछ दिन के अंतराल के बाद दूसरा विवाद शुरू हो जाता है। दिल्ली सरकार को चलाने को लेकर जिस टकराव का अंदाजा चुनाव के पूर्व से लगाया जा रहा था वही अब सामने आ रहा है। एलजी नजीब जंग और सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच पॉवर गेम चरम पर है और गेंद अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पाले में है। इस सब के बावजूद एलजी और सीएम में कोई भी हथियार डालने को तैयार नहीं है। दोनों पक्षों की राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद भी उपराज्यपाल ने एक सप्ताह के ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश रद्द कर इसका सबूत दे दिया है। ये इस बात की ओर भी इशारा है कि यह विवाद अभी और बढ़ेगा।
यह तकरार छुट्टी पर गए मुख्य सचिव की जगह उपराज्यपाल द्वारा ऊर्जा सचिव को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त कर देने से शुरू हुई, जिसका केजरीवाल सरकार ने न केवल प्रबल विरोध किया बल्कि मुख्य सचिव के ऑफिस पर ताला डलवा देने जैसा हास्यास्पद काम किया। रही-सही कसर नजीब जंग ने सरकार द्वारा तैनात किए गए प्रमुख सचिव की नियुक्ति को रद्द करके पूरी कर दी। प्रदेश के दो शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्तियों के इन क्रियाकलापों का दिल्ली पर क्या असर होता है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। एलजी व सीएम के बीच जारी जंग का असर जल्द ही जनता पर दिखने लगेगा। दिल्ली के कई इलाकों में बिजली-पानी की समस्या से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है और अधिकारी असमंजस में हैं। लेकिन सरकार व प्रशासक का पूरा ध्यान अपने संवैधानिक अधिकार बताने में है। यह मामला संवैधानिक संकट का न होकर राजनैतिक ज्यादा प्रतीत होता है। दिल्ली केंद्र शासित राज्य होने के कारण सारी कार्यकारी शक्तियां एलजी के पास हैं जबकि सरकार सलाह या सहायता का काम करती है। 10 दिन के लिए कार्यवाहक सीएस को नियुक्त करने का ही तो मामला था जिसमें चार दिन छुट्टी पड़ रही थी। लेकिन मामला दोनों की ईगो से जुड़ गया और बखेड़ा खड़ा हो गया।
दरअसल, दिल्ली के केंद्र शासित होने के कारण इस तरह के विवाद पहले भी उठते रहे हैं। निर्भया कांड के वक्त दिल्ली पुलिस पर नियंत्रण को लेकर तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित ने खुलेआम विरोधी स्वर मुखर किए थे लेकिन तब केंद्र व दिल्ली में एक ही पार्टी की सरकार होने के कारण आलाकमान के बीच में आने के कारण ऐसे विवाद आसानी से दब जाते थे लेकिन अब स्थिति बिल्कुल जुदा है। इस बार आम आदमी पार्टी ऐतिहासिक बहुमत का दम भरते हुए सत्ता में बैठी है। दिल्ली के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर ही अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार का दरवाजा खुलेगा। इसलिए वह कमजोरी प्रदर्शित करते हुए कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। हालांकि केजरीवाल की इस मुहिम में कुछ ज्यादा जल्दबाजी नजर आती है क्योंकि दिल्ली को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है। दिल्ली में केंद्र से तालमेल न होने पर टकराव इसलिए भी बनता है कि दिल्ली पुलिस, डीडीए, एनडीएमसी व शहरी विकास के काम उपराज्यपाल के माध्यम से सीधे केंद्र ही देखता है और इसमें राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं है।
टकराव की प्रमुख वजह यह भी है कि दिल्ली में उपराज्यपाल और सीएम के अधिकार ठीक से परिभाषित भी नहीं हैं। इसे लेकर संविधान विशेषज्ञों तक में मतभेद हैं। संविधान विशेषज्ञ व लोकसभा में महासचिव रहे सुभाष कश्यप संविधान के अनुच्छेद 239 एबी का हवाला देते हुए कहते हैं कि उपराज्यपाल चाहें तो राष्ट्रपति शासन तक की सिफारिश कर सकते हैं। इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील राजीव धवन का मानना है कि केजरीवाल को अपनी पसंद के नौकरशाह को नियुक्त करने का अधिकार है। जाहिर है ये मामला दो व्यक्तियों के टकराव से ज्यादा व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। स्थिति को और खराब होने से रोकने का केवल एक ही रास्ता है कि दिल्ली के सीएम और उपराज्यपाल के अधिकारों को ठीक से परिभाषित किया जाए, ताकि कोई किसी के कार्यक्षेत्र का उल्लंघन न करे।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का प्रस्ताव- पुरुष दर्जी नहीं ले सकेंगे महिलाओं की माप, जिम में महिला ट्रेनर जरुरी
लखनऊ। अगर आप महिला हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूपी में महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उ.प्र. राज्य महिला आयोग ने कुछ अहम फैसले लिए हैं जिसे जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी हैं। शुक्रवार को आयोग की बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए। जो की इस प्रकार हैं।
1- महिला जिम/योगा सेन्टर में, महिला ट्रेनर होना चाहिए तथा ट्रेनर एवं महिला जिम का सत्यापन अवश्य करा लिया जाये।
2-महिला जिम/योगा सेन्टर में प्रवेश के समय अभ्यर्थी के आधार कार्ड/निर्वाचन कार्ड जैसे पहचान पत्र से सत्यापन कर उसकी छायाप्रति सुरक्षित रखी जाये।
3- महिला जिम/योगा सेन्टर में डी.वी.आर. सहित सी.सी.टी.वी. सक्रिय दशा में होना अनिवार्य है।
4. विद्यालय के बस में महिला सुरक्षाकर्मी अथवा महिला टीचर का होना अनिवार्य है।
5. नाट्य कला केन्द्रों में महिला डांस टीचर एवं डी.वी.आर सहित सक्रिय दशा में सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
6. बुटीक सेन्टरों पर कपड़ों की नाप लेने हेतु महिला टेलर एवं सक्रिय सी.सी.टी.वी. का होना अनिवार्य है।
7. जनपद की सभी शिक्षण संस्थाओं का सत्यापन होना चाहिये।
8. कोचिंग सेन्टरों पर सक्रिय सी.सी.टी.वी. एवं वाशरूम आदि की व्यवस्था अनिवार्य है।
9. महिलाओं से सम्बन्धित वस्त्र आदि की ब्रिकी की दुकानों पर महिला कर्मचारी का होना अनिवार्य है।
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