प्रादेशिक
गोवा के मुख्यमंत्री को है फरार पूर्व मंत्री पचेको से सहानुभूति
पणजी | गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने शनिवार को कहा कि फरार पूर्व कैबिनेट मंत्री फ्रांसिस्को पचेको गिरफ्तारी से बचने के लिए मूर्खतापूर्ण काम कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें दोषी मंत्री के प्रति सहानुभूति है। एक मीडिया कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात करते हुए पारसेकर ने कहा कि उन्हें और उनकी विधानसभा को पचेको के प्रति सहानुभूति है। पचेको लगभग दो महीने से गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
पारसेकर ने कहा, “वह मूर्खतापूर्ण काम कर रहे हैं। मैं इतना ही कह सकता हूं कि अगर वह मेरे पास सलाह मांगने आते तो मैं उन्हें उचित सलाह देता। वह किसी की गलत सलाह को मान रहे हैं।” राज्य में विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर पचेको को आश्रय देने का आरोप लगाया था। पचेको भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में अभिलेखागार और पुरातत्व मंत्री थे। उन्हें बंबई उच्च न्यायालय ने 2006 के एक मारपीट के मामले में छह माह की जेल की सजा सुनाई थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पचेको से जबरन इस्तीफा ले लिया गया।
पचेको गोवा विकास पार्टी के प्रमुख हैं, जो कि राज्य की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में सहयोगी है। पचेको सहित गोवा विधानसभा में पार्टी के दो सदस्य थे। कई अन्य आपराधिक मामलों में आरोपी पचेको नौ अप्रैल से लापता है। वह आत्मसर्पण के आदेश का पालन करने में नाकाम रहे और पुलिस भी उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को क्रियान्वित नहीं कर पाई है। निचली अदालत में पचेको के खिलाफ एक नए मामले की सुनवाई चल रही है, जिसमें उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग की गई है। जबकि पुलिस ने उन पर 25,000 रुपये का इनाम घोषित किया है।
पारसेकर ने कहा कि उन्हें विधानसभा के अन्य सदस्यों के साथ पचेको से सहानुभूति है। साथ ही उन्होंने कहा कि कानून का जबरदस्त उल्लंघन उन्हें मुसीबत में डाल सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, “वह मेरे सहयोगी थे। हमें अन्य सदस्यों की तरह ही उनके साथ भी सहानुभूति है। मुसीबत किसी पर भी आ सकती है। हालांकि उन्हें सामने आकर आत्मसमर्पण कर देना चाहिए।” पारसेकर ने कहा, “क्या आपको लगता है कि गिरफ्तारी में देरी से उनकी छह माह की सजा कम हो जाएगी। छह माह की सजा जारी रहेगी। वह मुसीबत में पड़ने वाले हैं।”
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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