Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

जंगली जड़ी-बूटियों से दवा निर्माण की इकाई लगाएगा छत्तीसगढ़

Published

on

Loading

रायपुर। छत्तीसगढ़ की डॉ. रमन सिंह सरकार अब प्रदेश में बड़ी मात्रा में पाई जाने वाली लाभदायक जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक और हर्बल दवाइयों का निर्माण करने वाली इकाई लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। पहले चरण में रायपुर और सरगुजा में दवा निर्माण इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। बस्तर में पाए जाने वाले जंगली कंदमूल से सौंदर्य उत्पाद, बेबीफूड, केप्सूल का खोल और साबूदाना बनाया जा रहा है। वहीं बस्तर में ही मिलने वाले तिखूर का तो विदेशों में भी निर्यात हो रहा है।

छत्तीसगढ़ वैसे भी विभिन्न तरह के चिकित्सीय और सुगंधित पेड़-पौधों से समृद्ध है। इसमें से ज्यादातर जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल पीढ़ियों से आयुर्वेद, यूनानी और हर्बल दवाओं के रूप में किया जाता है। कैंसर से निपटने ब्रम्हामार, श्वांस संबंधी समस्याओं के लिए सतावर, सफेद मूसली, काली मुसली, अस्वगंध टानीक, कुकराडा और अदूसा, मधुमेह (ब्लड सुगर) से निपटने गुड़मार, सदासुहागन, याददाश्त बढ़ाने के लिए ब्राम्ही और वाच जैसी जड़ी-बूटियां प्रदेश के जंगल में उपलब्ध हैं।

आदिवासी कई तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग स्वयं को स्वस्थ रखने करते हैं जिसमें राई जैसे दाने वाले मोटे अनाज को रागी कहते हैं। मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए यह भोजन और औषधि दोनों का काम करती है। इसी तरह बस्तर में भल्लातक यानी भिलवा नामक सुंदर फल पाया जाता है। यह काजू से छोटा होता है। इसका तेल दाहत है तो बीज की गिरी रासायन कर्म करती है।

जेरेटिक इफेक्ट को नियमित करने के लिए यह औषधि का काम करती है। इसके अलावा बस्तर में बस्तर बीयर के नाम से चर्चित सल्फी से भी कई बीमारियों का इलाज होता है।

ज्ञात हो कि बस्तर से जिमीकंद सहित कुछ और कंद देश के दूसरे प्रदेशों में ले जाए जाते हैं और उनसे केप्सूल के खोल बनाए जाते हैं। चूंकि जिमीकंद में स्टार्च अधिक होता है। साथ ही वह घुलनशील भी होता है। वहीं बस्तर में पाया जाने वाला सिमलीकंद भी एक विशेष कंद होता है इसे खरीदकर गुजरात के व्यापारी साबूदाना बनाते हैं।

मुख्यमंत्री रमन सिंह की यह इच्छा है कि कंदमूल से दवाइयां बनाई जाए उससे जंगल में रहने वाले ग्रामीणों को लाभ तो होगा ही, साथ ही उद्योग स्थापित होने पर लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। साथ ही प्रदेशवासियों को अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी दवाइयां भी सस्ते में सुलभ हो सकेगी। साथ ही छत्तीसगढ़ में निर्मित दवाइयों से पूरे देश में लोगों को स्वस्थ रखने में भी मदद मिलेगी।

लघु वनोपज महासंघ के प्रबंध निदेशक बीएल शरण ने बताया कि प्रदेश में आयुर्वेद और हर्बल दवा निर्माण की स्थापना के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। फिलहाल राज्य में चरोटा पाउडर संयंत्र की स्थापना के लिए प्रयास किया जा रहा है। चरोटा बीजों से निकलने वाले पाउडर का इस्तेमाल गम और लुब्रीकेंट के निर्माण में किया जा सकेगा। इसके बीजों का इस्तेमाल कॉफी को स्वादिष्ट बनाने में भी किया जा सकेगा।

वहीं रायपुर में भी एक दवा निर्माण इकाई की स्थापना पर विचार किया जा रहा है। उनकी माने तो छत्तीसगढ़ में ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के उपचार में लाभदायक जड़ी बूटियां भी मिलती हैं।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

Published

on

Loading

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

Continue Reading

Trending