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देश में लंबे समय तक चलेगी लू

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नई दिल्ली। देश में इस साल लू की चपेट में आकर जहां 2,300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं हाल में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बंबई (आईआईटी-बी) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, भविष्य में लू का प्रकोप लंबा खिंचेगा, यह अधिक तीव्र होगा और अभी के मुकाबले गर्मी का मौसम थोड़ा पहले शुरू हो जाएगा।

शोध पत्रिका रीजनल एनवॉरमेंट चेंज में प्रकाशित शोध आलेख में कहा गया है कि दक्षिण भारत और पूर्वी तथा पश्चिमी तट पर भी भीषण गर्मी पड़ेगी, जहां अभी अधिक गर्मी नहीं पड़ती है और इसके कारण लू लगने से होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ेगी।

आईआईटी-बी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर और एक शोध लेखक सुबिमल घोष ने इंडियास्पेंड से कहा, “हमारे जलवायु मॉडल अनुमान के मुताबिक भविष्य में दक्षिण भारत में प्रचंड गर्मी की संभावना है।”

अन्य शोधों के मुताबिक भी 20वीं सदी की शुरुआत के मुकाबले वैश्विक तापमान 0.9 डिग्री बढ़ेगा।

जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) के मुताबिक, 1906 से 2005 के बीच धरती की सतह पर हवा का तापमान 0.74 फीसदी बढ़ा है।

आईआईटी-बी के मुताबिक, आने वाले वर्षो में लू का प्रकोप बढ़ने से होने वाली मौतें बढ़ेंगी।

प्रमुख शोध लेखक और आईआईटी-बी के शोधार्थी कमल कुमार मुरारी ने कहा, “हमारे अध्ययन से स्थिति से निपटने की रणनीति के विकास के लिए तापमान बढ़ने के सीधे परिणामों को बेहतर तरीके से समझने की जरूरत का पता चलता है।”

मुरारी और उनके सहयोगियों ने 1969 से 2009 तक 40 साल की अवधि के भारत के 395 मौसम केंद्रों के आंकड़े लिए। इसके अलावा भी उन्होंने अनेक अन्य आंकड़ों की तुलना की।

अध्ययन के मुताबिक, सर्वाधिक संभावना यह है कि 2070 के बाद से लू का प्रकोप और बढ़ेगा और यह लंबे समय तक भी कायम रहेगा।

खास तौर से दक्षिण भारत का एक बड़ा हिस्सा और पूर्वी और पश्चिमी तट, जो अबतक लू से प्राय: अछूते रहे हैं, 2070 के बाद से लू से बुरी तरह प्रभावित होने लगेंगे।

अध्ययन के मुताबिक, लू का प्रकोप अप्रैल के शुरुआती दिनों से ही शुरू हो सकता है और पूरे देश में लू के कारण होने वाली मौतों का मामला बढ़ सकता है।

पुणे के राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के प्रमुख डॉ. डी.एस. पई और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के उनके सहयोगियों ने अपने अध्ययन में पाया कि 2001-2010 के दशक में लू के मामले और तीक्ष्णता बढ़ी है और यह दशक गत चार दशकों में सर्वाधिक गर्म था।

उत्तर भारत में मानसून के आगमन के साथ गर्मी के मौसम का अंत माना जाता है। 1998 और 2002 में जब मानसून आने में देरी हुई थी, तब इस क्षेत्र में लंबे समय तक प्रचंड गर्मी की स्थिति रही थी।

गर्मी के प्रकोप के भौगोलिक विस्तार और उसमें होने वाले बदलाव को देखते हुए मौसम वैज्ञानिक बेहतर पूर्वानुमान और गहन शोध की जरूरत पर बल दे रहे हैं।

मुरारी ने कहा, “ताजा अध्ययन लू को एक आपदा मानने का शुरुआती बिंदु हो सकता है, जबकि इसे भारत सरकार की आपदा प्रबंधन योजना की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं किया गया है।”

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारित मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। मैक्स मार्टिन पर्यावरण और जलवायु पर्तिन पर लोगों की प्रतिक्रिया पर लिखते और शोध करते हैं। ये उनके निजी विचार हैं)

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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