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रॉक गार्डन के जनक नेकचंद नहीं रहे, अंतिम संस्कार शनिवार को
चंडीगढ़| चंडीगढ़ स्थित मशहूर ‘रॉक गार्डन’ के निर्माता नेकचंद नहीं रहे। उनका यहां पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को होगा। नेकचंद (90) के निधन की जानकारी उनके परिजनों ने दी। वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा कैंसर से पीड़ित थे। वह पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
चंडीगढ़ प्रशासन ने विश्वस्तरीय ख्याति प्राप्त वास्तुकार नेकचंद के सम्मान में शुक्रवार को अपने कार्यालयों में एक दिन का अवकाश घोषित किया। परिजनों ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रॉक गार्डन में रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेकचंद के निधन पर शोक जताया। मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, “नेकचंद जी हमेशा अपनी कलात्मक प्रतिभा और शानदार रचना के लिए याद किए जाएंगे, जिसने कई लोगों को आकर्षित किया। उनकी आत्मा को शांति मिले।” नेकचंद भारत के सर्वाधिक चर्चित कलाकारों में से एक थे। उनकी कृतियां पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी तथा बर्लिन जैसे दुनिया के मशहूर शहरों के हिस्सा बनी हैं। उनपर कई किताबें भी लिखी जा रही हैं। कई देशों ने उन्हें मानद नागरिकता की पेशकश की।
वह 1950 और 1960 के दशक में चंडीगढ़ में एक निर्माण परियोजना में सड़क निरीक्षक थे। उस समय इस ‘खूबसूरत शहर’ का डिजाइन फ्रांस के वास्तुकार ली कॉरबुजे तैयार कर रहे थे। नेकचंद ने लोगों द्वारा फेंके जाने वाले कचरे से कलात्मक कृतियां बनाने की कला ईजाद की और उत्तरी चंडीगढ़ के वन क्षेत्र में चुपचाप अपनी प्रयोगशाला बनाई, ताकि वह अपनी कृतियों को आकार दे सकें। उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। नेकचंद की कलाकृतियों में टूटी हुई चूड़ियों, मिट्टी के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक स्विच, प्लग, ट्यूब लाइट, मार्बल, टाइल्स, घरों में बेकार पड़े सामान, पत्थर, भवन निर्माण सामग्री तथा अन्य चीजों को भी शामिल किया गया है।
रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर-एक में स्थित है। यह 35 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे नेकचंद द्वारा निर्मित एक ऐसे ‘साम्राज्य’ के रूप में जाना जा सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश तथा अन्य स्थानों के साथ-साथ भारत के समग्र जीवन एवं पारिस्थितिकी को दर्शाया गया है। यहां झरना, ओपन थियेटर तथा एक छोटा-सा तालाब भी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी नेकचंद के निधन पर शोक जताया। उन्होंने अलग-अलग शोक संदेशों में कहा कि नेकचंद अपने रचनात्मक योगदान के लिए अर्से तक याद किए जाएंगे।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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