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यूपी में बिजली देगी जोर का झटका

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उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी में बिजली उपभोक्ताओं को बहुत जोर का झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की जो नई दरें तय की हैं उन्हें कहीं से भी तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है। पावर कॉर्पोरेशन ने 500 यूनिट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम 5.75 रुपये प्रति यूनिट की दर का प्रस्ताव दिया था लेकिन आयोग ने अपनी तरफ से चार कदम और आगे जाते हुए 45 पैसे और बढ़ाकर दर 6.20 रुपये प्रति यूनिट की तय कर दी है।

बिजली कंपनियों को अतिरिक्त राजस्व का फायदा पहुंचाने का जो खेल खेला गया है वह साफ तौर पर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी है। दरें बढ़ाने के पीछे तर्क है कि बिजली कंपनियों को प्रदेश में काफी घाटा उठाना पड़ रहा है लेकिन इसके लिए कम राजस्व वसूली होना जिम्मेदार है। कंपनियां हर महीने लगभग 3500 करोड़ रुपये की बिजली खरीद रही हैं और इसके एवज में वसूली सिर्फ 2500 करोड़ की ही है। जानकारों के अनुसार कंपनियां हर महीने लगभग 75-80 फीसदी उपभोक्ताओं को ही बिलिंग कर पाती हैं और इसमें से भी वसूली 70-80 फीसदी ही हो पाती है। ऐसे में कम राजस्व वसूली का खामियाजा सभी उपभोक्ताओं के सिर मढ़ना किस दृष्टि से उचित है।

एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर महीने लगभग 450 करोड़ रुपये की बिजली चोरी की भेंट चढ़ जाती है। यानी रोजाना 12 से 15 करोड़ रुपये की चपत लग रही है। इसे रोक लिया जाता तो दरें बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसके अलावा मौजूदा समय में लाइन हानियां 28 फीसदी के आसपास हैं। इसमें ट्रांसमिशन और वितरण हानियों को छोड़ दिया जाए तो बिजली चोरी भी एक प्रमुख वजह है। जानकार बताते हैं कि सिर्फ बिजली चोरी रोक ली जाए तो बिजली कंपनियों का राजस्व 5000 करोड़ रुपये सालाना बढ़ जाएगा लेकिन आयोग ने अपने मौजूदा रुख से साबित कर दिया कि उसे उपभोक्ताओं से ज्यादा बिजली कंपनियों की फिक्र है।

सरकार के मौजूदा रुख को देखें तो साफ पता चलता है कि बिजली क्षेत्र की तस्वीर सुधारना उसकी प्रतिबद्धताओं मं शामिल ही नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में बिजली का स्थिति बेहद बुरी है और दूरदराज के गांवों की बात तो छोड़ दीजिए, सूबे की राजधानी लखनऊ में ही बिजली की अघोषित कटौती और बिजली व्यवस्था को लेकर जनता का आक्रोश किसी से छुपा नहीं है। गर्मियों में तो स्थिति बद से बदतर हो जाती है। वैसे भी तीन साल में बिजली की दर में यह चौथी वृद्धि है। इससे निजात दिलाने के लिए आमूलचूल बदलाव की जरूरत थी लेकिन राज्य सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में बिना कोई सोचविचार किए बिजली की दर बढ़ा देने का फैसला किया गया है लेकिन इससे समस्या का हल नहीं निकलेगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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