प्रादेशिक
यूपी मिशन-2017 : वोट बैंक सहेजने में जुटे दल
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव-2017 अब तक के चुनावों से अलग रहेगा। भाजपा, बसपा व सत्ताधारी सपा अभी से मिशन-2017 की तैयारियों में जुट गए हैं। बसपा अपने परंपरागत दलित वोट बैंक के साथ अल्पसंख्यक, अतिपिछड़ा व सवर्ण समाज को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगी है, तो भाजपा लोकसभा चुनाव-2014 की तरह प्रदर्शन दोहराने के समीकरण में मंथन में जुटी है।
सपा को विश्वास है कि उसका परंपरागत यादव वोट बैंक के साथ अल्पसंख्यक उसका साथ नहीं छोड़ेगा। विधानसभा चुनाव-2012 में अतिपिछड़ी जातियां आरक्षण के मुद्दे पर पूरी तरह सपा के साथ चली गई थीं, परंतु अब इनका धीरे-धीरे सपा से मोहभंग होता जा रहा है। विमुक्त जातियों का आरक्षण खत्म करने से जहा मल्लाह, केवट, कहार, लोध, मेवाती, बंजारा, भर, औधियां, घोसी आदि जातियां तो पहले से ही नाराज थीं, अब गोरखपुर, संतकबीनगर में निषाद आरक्षण आंदोलन से निषाद-कश्यपों का सपा से मोह भंग होता दिख रहा है, जो सपा के लिए खतरे की घंटी है।
उत्तर प्रदेश में इस समय एआईएमआईएम, पीस पार्टी सहित कुछ अन्य मुस्लिम पार्टियां अपना पैर पसारने के काम में मजबूती से जुटी हैं जिसका सीधा-सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा, वहीं सपा बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी होगी। सपा को विश्वास है कि वह पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में पुनर्वापसी करेगी, परंतु यह उसकी गलत फहमी है, क्योंकि सपा शासन के कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार, सपा नेताओं की जनता से दूरी व कुछ जिलों के जाति विशेष के उम्मीदवारों को नौकरियों मंे भरे जाने से अन्य वर्गों के साथ यादव वर्ग भी काफी नाराज चल रहा है।
उत्तर प्रदेश के सामाजिक समीकरण में 17 अतिपिछड़ी व 11 विमुक्त जनजातियों का चुनावी ²ष्टि से काफी महत्व है। 17 अतिपिछड़ी जातियों का उत्तर प्रदेश में जनसंख्या अन्य पिछड़े वर्ग की ग्रामीण जनसंख्या में लगभग 1 तिहाई यानी 15.30 प्रतिशत व विमुक्त जातियों की संख्या 17.60 प्रतिशत से अधिक है। यदि विधानसभा चुनाव-2002, 2007 व 2012 पर नजर दौड़ाई जाए तो सत्ता का हस्तांतरण 3-4 प्रतिशत मतों के ही अंतर से होता रहा है। विधानसभा चुनाव-2017 में बसपा को 29.65 व सपा को 25.75 प्रतिशत मत मिला था, वहीं विधानसभा चुनाव-2012 में सपा को 29.13, बसपा को 25.91 व भाजपा को लगभग 15 प्रतिशत मत मिला था।
लोकसभा चुनाव-2014 में भाजपा को 42.3 प्रतिशत, बसपा को 19.95 व सपा को 22.6 प्रतिशत मत मिला था। विधानसभा चुनाव-2017 में सामाजिक-जातिगत समीकरण में काफी उलट फेर की संभावना है। अभी तक जो तस्वीर उभर कर आई है, उसमें भाजपा व बसपा ही नंबर-1 पार्टी के रूप में देखी जा रही हैं। सपा के कानून व्यवस्था व अतिपिछड़ों (गैर यादव पिछड़ों) की उपेक्षा से माहौल सपा के खिलाफ दिख रही है, ऐसे में भाजपा व बसपा इस माहौल को कैसे अपने पक्ष में कर पाती हैं, वह अभी भविष्य के गर्भ में है।
भाजपा को अच्छी तरह पता है कि उत्तर प्रदेश में जब भी उसकी सरकार बनी, उसमें अतिपिछड़ों, अति दलितों की ही मुख्य भूमिका रही। भाजपा के एक महामंत्री ने कहा कि सपा के यादवी करण व खराब कानून व्यवस्था का लाभ उनकी पार्टी को ही मिलेगा। दूसरा, भाजपा का जातिगत सामाजिक समीकरण अन्य दलों की अपेक्षा काफी मजबूत है। वहीं पिछड़ा वर्ग के चिंतक चौधरी लौटनराम निषाद की टिप्पणी थी कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा से पिछड़ा/अतिपिछड़ा वर्ग का ही नहीं, अन्य वर्गो का भी मोहभंग हुआ है। अतिपिछड़ा वर्ग भाजपा के छद्म सामाजिक न्याय व सामाजिक समता, समरसता के चुनावी नाटक को समझ गया है, अब इसके बहकावे में नहीं आएगा।
उत्तर प्रदेश के सामाजिक समीकरण पर नजर दौड़ाई जाए तो सामान्य वर्ग-20.94, अन्य पिछड़ा वर्ग-54.05, अनुसूचित जाति-24.95 व अनुसूचित जनजाति वर्ग-0.06 प्रतिशत हैं। पूरी आबादी में अल्पसंख्यक-14.6 प्रतिशत, यादव 10.46, मध्यवर्ती पिछड़ा वर्ग-10.22 प्रतिशत तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग-33.34 प्रतिशत हैं। इसमें अतिपिछड़ों की ही चुनाव में खास भूमिका होती है। अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी में निषाद/मछुआरा-12.91, मौर्य/कुशवाहा/शाक्य/काछी-8.56 प्रतिशत, कुर्मी/पटेल-7.46, लोध-किसान-6.06 प्रतिशत, पाल/बघेल-4.43, तेली/साहू-4.03, कुम्हार/प्रजापति-3.42, राजभर-2.44, नोनिया/चौहान-2.33, विश्वकर्मा/बढ़ई-2.44, लोहार-1.81, जाट-3.7, गूजर-1.71, नाई/सविता-1.01 व भुर्जी/कांदू-1.43 प्रतिशत हैं।
उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 7 यादव कैबिनेट मंत्री हैं, वहीं गैर यादव पिछड़े वर्ग से राजेंद्र चौधरी (जाट), राममूर्ति वर्मा (कुर्मी) को महत्वहीन विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अत्यंत पिछड़ों में जरूर विवादित गायत्री प्रसाद प्रजापति को 17 अतिपिछड़ी जातियों के नेता के रूप में ‘मलाईदार विभाग’ का कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जिससे अन्य अतिपिछड़े काफी नाराज है।
वहीं, मांझी/गोड़िया समाज के शंखलाल मांझी, लोधी/किसान समाज के मानपाल सिंह वर्मा व राममूर्ति सिंह वर्मा, पाल/गड़ेरिया समाज के विजय बहादुर पाल व मौर्य/काछी/शाक्य/कुशवाहा समाज के विनय कुमार शाक्य को राज्यमंत्री बनाकर इन वर्गो का राजनीतिक अपमान ही किया गया है। अतिपिछड़ा वर्ग में सपा के प्रति काफी असंतोष है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव-2017 के मद्देनजर कांग्रेस व भाजपा मे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें हैं। कांग्रेस की नजर भी पिछड़ा वर्ग पर है। मिस्त्री व खत्री की केमेस्ट्री फेल हो गई है, ऐसे में किसी पिछड़े/अतिपिछड़े को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा है। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी के प्रति अंदर ही अंदर कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है।
मोदी-शाह की जोड़ी के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति भी खास है। कयास यह लगाया जा रहा है कि स्वतंत्र देव सिंह (कुर्मी), धर्मपाल सिंह (लोधी), प्रकाश पाल (बघेल/गड़ेरिया/धनगर), केशव प्रसाद मौर्य में से किसी एक को प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपकर भाजपा पिछड़ा वर्ग कार्ड खेल सकती है। कुछ भी हो उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़े वर्ग की भी अहम भूमिका रहेगी।
IANS News
महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी सेक्टरों में नियुक्त किए गए सेक्टर मजिस्ट्रेट
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। सीएम योगी के दिव्य भव्य महाकुंभ की योजना के मुताबिक महाकुंभ नगरी ने संगम तट पर आकार लेना शुरू कर दिया है। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संन्यासियों के रहने और स्नान के लिए घाटों, अस्थाई सड़कों व टेंट सिटी का निर्माण शुरू हो गया है। प्रयागराज मेला प्रधिकरण ने योजना के मुताबिक पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा हैं। सेक्टर और कार्य के मुताबिक सेक्टर मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति कर दी गई है। सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने – अपने सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार रहेंगे। महाकुंभ के दौरान सेक्टर मजिस्ट्रेट आम जनता और प्रशासन के बीच कड़ी का कार्य करेंगे।
विभागीय समन्वय का करेंगे कार्य
महाकुंभ 2025 में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों के कल्पवास करने की संभावना है। इसके साथ ही हजारों की संख्या में साधु-संन्यासियों और मेला प्रशासन के लोग महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में रहेंगे। इन सबके रहने के लिए टेंट सिटी व स्नान के लिए घाटों और मार्गों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पूर्व योजना के मुताबिक प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने पूरे महाकुंभ क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा है। 4000 हेक्टेयर और 25 सेक्टरों में बंटा महाकुंभ मेला क्षेत्र इससे पहले के किसी भी महाकुंभ मेले से सबसे बड़ा क्षेत्र है। मेला प्राधिकरण ने प्रत्येक सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था और विभागीय समन्वय के लिए उप जिलाधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति किया है। ये सेक्टर मजिस्ट्रेट पूरे महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर, कार्य विभाग और विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे।
अधिकांश ने ग्रहण किया कार्यभार
प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सेक्टर वाईज सेक्टर मजिस्ट्रेट की लिस्ट जारी कर दी है। इस सबंध में एसडीएम मेला अभिनव पाठक ने बताया कि अधिकांश सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। शेष अपनी विभागीय जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जल्द ही मेला क्षेत्र में अपना कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। जो कि महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर की प्रशासन व्यवस्था व विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे। प्रत्येक सेक्टर में भूमि आवंटन की प्रगति और लोगों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण में ये सेक्टर मजिस्ट्रेट मददगार होंगे।
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