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भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को उत्सुक विश्व : मोदी

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modi man ki baat

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि विश्व, योग सहित भारत की अन्य विरासतों के बारे में जानने को उत्सुक है। इसके साथ ही उन्होंने आईटी पेशेवरों से प्राचीन कार्यों से जुड़ी और सूचनाएं देने के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम पेश करने को कहा। मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के नौवें संस्करण में कहा, “विश्व भारत, हमारे मूल्यों, हमारी परंपराओं और संस्कृति के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक है। हम विश्वभर में अपना ज्ञान पहुंचा सकते हैं। ऐसा हम तभी कर सकते हैं, जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो।”

उन्होंने कहा कि भारतीयों को उनके पूर्वजों से योग तथा पारिवारिक मूल्यों जैसी कई चीजें मिली हुई हैं। मोदी ने कहा, “हम क्यों नहीं विश्व को अपने पारिवारिक मूल्यों से अवगत कराएं? इसी तरह विश्व को योग की जानकारी देना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा, “मैं सभी युवाओं विशेषकर आईटी पेशेवरों से अपील करता हूं कि वे कुछ ऑनलाइन योग कार्यक्रम पेश करें, जो कि योग की जानकारी और इससे संबंधित लाभ की सूचना उपलब्ध कराए।”

मोदी ने प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) की सफलता के बारे में बात की और इसे सफल बनाने के क्रम में इसमें शामिल होने और जीतोड़ प्रयास करने के लिए सशस्त्रबलों को सराहा। उन्होंने कहा, “मैंने 21 जून को जब संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून को योग करते देखा, तो मुझे बेहद खुशी हुई।” पीएम ने कहा कि लोगों ने यह सुझाव दिया कि वह मानसून पर बात करें, जो देश के कई हिस्सों में सक्रिय हो गया है।

मोदी ने वर्षा आधारित कृषि की वकालत करते हुए कहा कि जल संरक्षण के प्रयास होने चाहिए। ‘यह जन आंदोलन बनना चाहिए।’ उन्होंने महात्मा गांधी के पोरबंदर स्थित घर का उदाहरण दिया, जहां बारिश के पानी को संरक्षित रखने के लिए 200 साल पुराना भूमिगत जलाशय मौजूद है। उन्होंने देशवासियों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि रक्षा बंधन से पूर्व महिलाएं सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़ें।

प्रधानमंत्री ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, “हम अगस्त में रक्षा बंधन मनाएंगे। हम एक जन आंदोलन शुरू कर सकते हैं, जिसके जरिए हम यह सुनिश्चित करें कि देश की सभी माताएं-बहनें रक्षा बंधन से पूर्व सभी सुरक्षा योजनाओं से जुड़ जाएं।” उन्होंने कहा, “चाहे कोई महिला किसी के घर साफ-सफाई का काम कर रही हो या हमारे क्षेत्र में हो या फिर वह हमारी खुद की बहन हो, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ मिल सके।”

मोदी ने हरियाणा के एक गांव में कराई गई ‘सेल्फी विद डॉटर’ प्रतियोगिता का उदाहरण दिया और कहा कि ऐसी ही पहल और लोग भी कर सकते हैं तथा सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ’ अभियान में मदद कर सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी बेटियों के साथ तस्वीर लेकर सोशल मीडिया में हैशटैग ‘सेल्फी विद डॉटर’ के साथ साझा करें।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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