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आरटीई मामले पर हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

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आरटीई मामले, हाई कोर्ट, सरकार, लगाई फटकार, शिक्षा का अधिकार कानून, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा

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लखनऊ। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कू‍लों में प्रवेश न देने के मामले पर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उप्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। प्राइवेट स्कू्लों में गरीब बच्चों के कम प्रवेश होने पर सरकार को लताड़ते हुए कोर्ट ने 20 अगस्त को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को पूरे रिकार्ड के साथ तलब किया। सरकार को प्रवेश की नई नीति बनाने का निर्देश देते हुए माननीय कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान नई नई नीति का पूरा विवरण भी कोर्ट में तलब किया है।

गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों  को एक निश्चित संख्या में प्रवेश देने का निर्देश दिया गया है और इस कानून के तहत सभी निजी स्कूलों को उतने बच्चों  अपने स्कूल में प्रवेश देने की बाध्यता है। इसके उलट हकीकत यह है कि ज्या‍दातर निजी स्कूल इस कानून का पालन नही करते हैं।

राजधानी की बात करें तो लगभग सभी निजी स्कूलों में ऐसे प्रवेश की संख्या काफी कम है। गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिर्काड में अपने स्कूल का नाम होने का दावा करने वाले एक स्कूल की स्थित तो और भी दयनीय है। विश्वस्तरीय शिक्षा देने के नाम पर अभिभावकों से मोटी फीस वसूलने वाले इन स्कूलों में गरीब बच्चों को पढ़ाना उनके अभिभावकों के लिए आज भी एक सपना है। शिक्षा अधिकारियों की सांठगांठ से चल रहे इन स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून का खुलकर मखौल उड़ाया जा रहा है। प्रशासन भी सबकुछ जानते हुए खामोश बैठा है जिससे उनकी भी संलिप्तता इस मामले में उजागर होती है।

आंकड़ों पर निगाह डालें तो स्थिति की भयावहता का पता लगता है। 2012 में कानून के लागू होने के बाद से अब तक 18लाख प्रवेश होने के सापेक्ष प्रदेश में कुल 3100 गरीब बच्चों  के प्रवेश निजी स्कूलों में हुए हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रवेश के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए सरकार ने बताया कि 2013 में 50 और 2014 में पूरे प्रदेश में कुल 60 गरीब बच्चों के ही प्रवेश हुए हैं जबकि आठ लाख प्रवेश होने चाहिए थे। राजधानी में प्रशासन और सरकार की नाक के नीचे शिक्षा के कानून अधिकार की धज्जियां किस तरह उड़ाई जा रही हैं उसकी कहानी यह आंकड़े कहते हैं, राजधानी में 2013 में इस कानून के तहत कोई प्रवेश नहीं हुआ जबकि 2014 में चार और 31जुलाई 2015 तक 372 गरीब बच्चों के ही प्रवेश हुए हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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