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नहीं सुधरेगा पाक, अब कड़ी कार्रवाई की जरूरत
नितिन गोपाल
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में एलओसी से सटे भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी लगातार जारी है। पाक सेना की ओर से अकारण की जा रही इस गोलीबारी में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 23 घायल हो गए। पाक की अंधाधुंध गोलीबारी की जद में 30 से अधिक गांव हैं। एक ओर पाक की ‘नापाक’ हरकत जारी है तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिवसीय यूएई दौरा शुरू हो गया है। खास बात यह है कि पाकिस्तान की इन बेजा हरकतों के विरोध में पीएम मोदी का कोई बयान सामने नहीं आया है। हालांकि इस दौरान पीएम ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को उनके बर्थडे पर बधाई जरूर दी।
सवाल यह है कि नेपाल में भूकंप त्रासदी के वक्त त्वरित प्रतिक्रिया करने वाले और म्यामांर में आतंकियों के विरुद्ध सेना की कार्रवाई के विरुद्ध पल-पल की रिपोर्ट लेने वाले पीएम इस अहम मसले को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं? अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब पिछले साल मोदी चुनाव प्रचार के दौरान देश के शहीद जवानों के साथ कायराना हरकत करने वाले पाकिस्तान को खूब खरीखोटी सुनाते थे। उनके द्वारा देश के तत्कालीन हुक्मरानों को भी उनकी चुप्पी के लिए आईना दिखाया जाता था लेकिन अब बेकसूर नागरिकों की मौत पर उनकी चुप्पी असहनीय है।
इस सब के बीच 23-24 अगस्त को एनएसए स्तर की बातचीत की मेज तेजी से तैयार हो रही है। चर्चा है कि इस बातचीत के एजेंडे से कश्मीर को दूर रखने पर सहमति बन गई है। दूसरी ओर भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का राग अलापा है। बासित ने पाक स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली में कहा कि पाकिस्तान कश्मीर की आजादी की जायज लड़ाई से कभी पीछे नहीं हटेगा। इसी बीच अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने भी कहा कि उनका देश भारत के साथ कश्मीर समेत सभी लंबित मामलों को हल करना चाहता है। हुसैन ने दावा किया कि उनका देश भारत समेत सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का हिमायती है, लेकिन अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। ऐसे में सवाल यह है कि पाकिस्तान के भारत विरोधी इस दोहरे खेल के बीच बातचीत का क्या औचित्य है? एक ओर सीमा पर बेकसूर नागरिक और जवान हमारे जान गंवा रहे हैं तो दूसरी ओर बातचीत का ढोंग किया जा रहा है। यह रुख देश की पुरानी सरकार से किस तरह से अलग है? क्यों नहीं सभी स्तर की बातचीत को तुरंत रोककर जमीनी धरातल पर ठोस कदम उठाए जाते?
खास बात यह है कि चाहे देश में घटी कोई आतंकी घटना हो या फिर सीमा पार से फायरिंग में प्रभावित लोगों का मामला, हर बार केवल घटना के पात्र बदलते हैं लेकिन कहानी एक ही रहती है। पहले कसाब आया था, अब उधमपुर आतंकी हमले के बाद आतंकी नवेद को गिरफ्तार किया गया है। भारत ने कितने ही डोजियर भेजकर मुंबई हमले के सुबूत पाकिस्तान भेजे। खुद पाकिस्तान सरकार के पूर्व अफसर यह स्वीकार करने लगे कि इस मामले में पाकिस्तान अपनी गलती स्वीकार करें लेकिन पाकिस्तान नहीं मानता। ऐसे में क्या हम यूं ही आंखें मूंदकर अपने नागरिकों की लाशों की गिनती करते रहेंगे। ऐसे में वाकपटुता और चुनावी मंचों से दिए जाने वाले राजनीतिक भाषण कब हकीकत बनेंगे, यह देखना होगा। इन घटनाओं से सेना का मनोबल भी टूटता है। पाकिस्तान की इन हरकतों से पूरे देश में गुस्सा है। केंद्र सरकार इस दर्ज को पहचाने और तुरंत कड़ी कार्रवाई करें, तभी देशवासियों का भरोसा कायम रह सकेगा।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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