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टूट गया जनता परिवार,समधी ने नहीं दिया समधी का साथ

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लखनऊ। वही हुआ जिसका आंकलन पहले से था। वहीं हुआ जिसकी कल्पना की जा रही थी। बिहार चुनाव को लेकर समाज़वादियों के कुनबे में छेद हो गया। गठबंधन का गुब्बारा फूट गया। राजनीति का मतलब भी यही होता है, अभी महज कुछ ही दिन पहले बने समधियों में सींटों के बंटवारे को लेकर दरार पड़ गयी। समाजवादी पार्टी के छत्रप प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने गठबधंन से हटने का एलान कर दिया और बिहार में अकेले  दम पर  चुनाव लड़ने की राह पकड़ ली। इसकी वजह बिहार में उन्हें सिर्फ 5 सीटें दिया जाना है,जिसको सपा अपना अपमान मान रही थी। और समाजवादी पार्टी इस अपमान से बौखला गयी और उसने आनन फानन में गठबंधन तोड़ अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया।

 समाजवादी पार्टी के दिग्गज हैरान है, परेशान है एक ओर जहां वह सपा को राष्ट्रीय पार्टी का रूतबा दिलाने के लिए दिन रात एक किये हैं ऐसे में अपनो से मिले अपमान से समाजवादी बौखला गये हैं। राम गोपाल ने तो यहा तक कह दिया कि उन्होंने गठबंधन के डेथ वारेंट पर साइन ही नहीं किये थे। हालांकि महगठबंधन टूटने की वजह पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाकात को माना जा रहा था और जिससे राम गोपाल ने साफ इंकार किया है । राम गोपाल यादव ने यह भी साफ किया की किसी भी पार्टी के नेता से मिलने का मकसद सियासी नहीं होता। उन्होंने कहा की शाह से नहीं बल्कि उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से जरूर हुयी है और यूपी के हक के लिए प्रधानमंत्री से जितनी बार मिलना पड़े वह मिलेंगे।
बिहार सपा के प्रदेश अध्यक्ष राम चन्द्र यादव का कहना है की पार्टी का फैसला जो है वो मान्य है। और उसी राह पर चलेंगे। और अकेले दम पर बिहार को फ़तेह करेंगे।
 हालांकि जनता परिवार के टूटने पर भाजपा ने चुटकी ली है। भाजपा के प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन का कहना है की ये तो होना ही था। जनता परिवार कोई दल नहीं है। जहां परिवार शब्द आ जाता है वहाँ राजनैतिक दल हो ही नहीं सकता। और जनता परिवार कभी रहा ही नहीं है।
आपको बतादें की ये कोई पहली बार नहीं है जब मुलायम ने आखिरी वक्त में साथियों का साथ छोड़ा हो। इसके पहले भी मुलायम ऐन वक्त पर अपना पैंतरा बदल चुके है। फिलहाल जनता परिवार टूट गया है। और इसका कितना असर बिहार के चुनाव पर पडेगा ये तो वक्त की बताएगा।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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