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ओआरओपी पर सरकार का रुख साफ नहीं : पूर्व सैनिक

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नई दिल्ली। ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) योजना तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग कर रहे पूर्व सैनिकों ने गुरुवार को कहा कि वे सरकार से बात नहीं कर सकते, क्योंकि सरकार असमंजस की स्थिति में है। सरकार की तरफ से कोई साफ बात नहीं हो रही है। गुरुवार को पूर्व सैनिकों का आंदोलन 81वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली के जंतर मंतर पर 13 पूर्व सैनिकों की भूख हड़ताल जारी है। देश के अन्य 60 शहरों-कस्बों में भी क्रमिक अनशन का क्रम जारी है।

सेवानिवृत्त कर्नल अनिल कौल ने धरनास्थल जंतर-मंतर पर कहा, “हम कैसे बातचीत कर सकते हैं, जब सरकार कह ही नहीं रही है कि उसकी क्या पेश करने की इच्छा है?” ग्रुप कैप्टन वीके गांधी (सेवानिवृत्त) ने कहा, “सरकार की ओर से एक तरह का बयान नहीं आ रहा है। एक व्यक्ति कुछ कह रहा है और दूसरा कुछ और कह रहा है।” गांधी और कौल दोनों ने इस बात से इनकार किया है कि वन रैंक वन पेंशन मुद्दे को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों और कनिष्ठ कमीशंड अधिकारियों के बीच मतभेद हैं। दोनों ने जोर दिया कि सेवानिवृत्त सैनिक कोई विशेष मांग नहीं कर रहे हैं और पेंशन के नाम पर किसी अप्रत्याशित लाभ की पेशकश नहीं की गई है।

कौल ने कहा, “हम तीन फीसदी वृद्धि की मांग किसी इंक्रीमेंट के लिए नहीं कर रहे हैं। इसका मकसद पेंशन में बराबरी लाना है। इंक्रीमेंट जैसी कोई बात नहीं है।” उन्होंने कहा, “हम पेंशन की आवधिक समीक्षा की मांग कर रहे हैं, ताकि संसद द्वारा स्वीकार की गई वन रैंक वन पेंशन की परिभाषा का किसी भी स्तर पर एक अक्षर का भी उल्लंघन न हो।” गांधी ने कहा, “हम वन रैंक वन पेंशन मांग रहे हैं न कि वन रैंक टू पेंशन या थ्री पेंशन।” वार्षिक आधार पर पुनरीक्षण की मांग इसीलिए है कि यह वन रैंक वन पेंशन ही बना रहे। अगर हर साल पुनरीक्षण नहीं हुआ तो फिर यह वन रैंक वन पेंशन नहीं रह जाएगा।

कौल ने कहा, “सरकार अपनी पेशकश रखती है। हम अपनी मांग रखते हैं। लेकिन कुछ भी साफ नहीं है। एक मध्यस्थ एक पेशकश करता है तो दूसरा आकर कोई और पेशकश कर जाता है। हमने जितने साफ तरीके से अपनी मांग रखी है उसे देखते हुए सरकार को अपनी पेशकश को तैयार कर लेना चाहिए था।” गांधी ने कहा, “छह से सात मध्यस्थ हमसे बात कर रहे हैं। वे रियायत पाने के लिए अलग-अलग लोगों को भेज रहे हैं। लेकिन कुछ भी ठोस रूप में नहीं है।”

पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार अगर ओआरओपी को एकतरफा लागू करती है तो वे देखेंगे कि यह उनकी मांग के अनुरूप है या नहीं। अगर नहीं हुआ तो आंदोलन जारी रखेंगे। पूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकारी खजाने पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ने की बात भी समझ में नहीं आती। इस बारे में हम जब भी हिसाब किताब जानना चाहते हैं तो सरकारी मध्यस्थ कुछ भी नहीं बता पाते। पूर्व सैनिकों ने पूछा कि अगर भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों में से किसी को कुछ हुआ तो क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी? इस बीच भूख हड़ताल की वजह से अस्पताल ले जाए जाने वाले पूर्व सैनिक पुष्पेंद्र सिंह की हालत संभलने के बाद बुधवार को वापस जंतर-मंतर आ चुके हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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