प्रादेशिक
बिहार : चुनावी समर में गठबंधनों की अग्निपरीक्षा
मनोज पाठक
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दल अपने नए ‘दोस्तों’ के साथ चुनावी समर में खम ठोंकने के लिए तैयार हो रहे हैं। कई पार्टियां जहां अपने नए दोस्तों के साथ चुनावी सफर पर आगे बढ़ चुकी हैं तो कई पार्टियां अब भी अपने ‘दोस्तों’ की तलाश में हैं। वैसे इस चुनाव में तय है कि मुकाबला गठबंधनों के बीच होगा और सभी गठबंधनों के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा होगी।
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला जहां सत्ताधरी गठबंधन जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच माना जा रहा है वहीं वामपंथी विचारधारा के छह दलों ने एक मोर्चा बनाकर इस लड़ाई को और रोचक बना दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी भी नए मोर्चे के रूप में चुनावी मैदान में उतरने को हाथ-पांव मार रही है।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरणों का आकार कुछ दूसरा था। पांच साल बाद मतदाताओं के सामने सियासी पार्टियां नए मित्रों के साथ सामने होगी। पिछले चुनाव के महारथी इस चुनाव में दूसरो शिविरों में नजर आएंगे वहीं कई योद्घा भी दोस्त से दुश्मन बन चुके हैं। पिछले चुनाव में राजग खेमे में जद (यू) व भाजपा एक साथ थी तो राजद और कांग्रेस अलग-अलग दूसरी ओर। भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) जैसी वाम पार्टियां भी अपनी स्वतंत्र हैसियत के साथ चुनाव मैदान में थीं। हालांकि कुछ सीटों पर उनके बीच तालमेल भी हुआ था।
इस चुनाव में जद (यू), राजद और कांग्रेस एक साथ होगी तो भाजपा, लोजपा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) उनके सामने नजर आएगी। ऐसे में चुनाव के दौरान सामाजिक समीकरणों के लिए चर्चित बिहार के इस चुनाव में बदलते इस राजनीतिक समीकरण का सामाजिक समीकरणों में कितना प्रभाव पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।
दरअसल, इन दोनों गठबंधनों की दावेदारी सामाजिक आधारों को अपने-अपने पक्ष में बताने के उनके तर्क पर टिकी है। जद (यू)-राजद महागठबंधन को भरोसा सामाजिक न्याय की ताकतें और न्याय के साथ विकास पर है वहीं राजग को अपने पारंपरिक आधारों के अलावा केन्द्र सरकार के कार्यो पर टिकी है। राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने बताया कि इस चुनाव में मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है। एक गठबंधन सामाजिक समरस और विकास की बात करता है जबकि दूसरा गठबंधन सामाजिक न्याय पर कुंडली मारकर बैठकर सीमित लोगों के विकास की बात कर रहा है। ऐसे में अन्य गठबंधनों की बात नहीं की जा सकती।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बिहार में नीतीश और लालू के गठबंधन को जनता ने नकारने की तैयारी कर ली है। यहां की जनता कभी जंगल राज-2 नहीं आने देगी। ऐसे में उस गठबंधन का कोई औचित्य नहीं। वे दोनों तो नकारे हुए नेता हैं। इस चुनावी समर में पहली बार छह वामपंथी दल एक साथ होकर चुनाव मैदान में हैं। वामपंथी दल के नेताओं का कहना है यह मोर्चा तीसरे विकल्प के रूप में मतदाताओं के पास है। आज बिहार में लोग परिवर्तन चाहते हैं और पहली बार वामपंथी दल तालमेल के साथ चुनाव मैदान में हैं।
पिछले चुनाव में वामपंथी पार्टियों को गंभीर धक्के से गुजरना पड़ा था क्योंकि विधानसभा में उसकी मौजूदगी अब तक के न्यूनतम स्तर एक तक पहुंच गई थी। पिछले चुनाव में माकपा ने जहां 30 सीटों पर वहीं भाकपा (माले) ने 104 और भाकपा ने 56 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, परंतु भाकपा ही एकमात्र सीट जीत पाई थी। इधर, महागठबंधन से अलग हो चुके समाजवादी पार्टी और राकांपा भी तीसरे मोर्चे के रूप में मतदाताओं के लिए विकल्प देने की तैयारी में है। इस घटनाक्रम से महागंठबंधन को वोटों में बिखराव का भले बड़ा खतरा न हो, पर इससे गैर राजग और गैर राजग महागठबंधन का मोरचा तो खुल ही गया है।
इस चुनाव में कल तक दूसरे शिविरों में कारगर योद्धा के रूप में पहचाने जाने वाले योद्धाओं को भी नकारा नहीं जा सकता। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव राजद से निष्कासित किए जाने के बाद जन अधिकार मोर्चा बनाकर नीतीश और लालू को किसी भी हाल में हराने का दावा कर रहे हैं। पप्पू को कोसी के इलाके में खास पकड़ वाला नेता माना जाता है। ऐसे में भाजपा के नजदीक होने का आरोप झेल रहे पप्पू महागठबंधन को परेशान करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी समरस समाज पार्टी का गठन कर चुनावी समर में मतदाताओं को एक विकल्प देने का दावा कर रहे हैं वहीं लालू प्रसाद के साले साधु यादव भी अपनी नई भूमिका तलाश रहे हैं।
IANS News
सीएम योगी ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, यूपी में टैक्स फ्री हुई फिल्म
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बहुचर्चित फ़िल्म ‘ द साबरमती रिपोर्ट’ देखी। फिल्म देखने के बाद सीएम योगी ने कहा कि मैं “द साबरमती रिपोर्ट” की पूरी टीम को बधाई देता हूं जिन्होंने इस वास्तविक सच को देश की जनता के सामने फिल्म के माध्यम से बाहर लाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हर भारतवासी को “द साबरमती रिपोर्ट” फिल्म को देखनी चाहिए और गोधरा का सच के नजदीक जाने का प्रयास करना चाहिए। सीएम योगी ने फिल्म को उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री करने की घोषणा की।
सीएम योगी ने कहा देश के खिलाफ और सरकारों के खिलाफ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए समाज में वैमनस्यता पैदा करने के लिए देश में जो कृत्य हुए हैं उसे देश की जनता को जानने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं उन चेहरों को पहचानने के साथ-साथ उनका पर्दाफाश करने की भी आवश्यकता है। सीएम योगी ने कहा कि फिल्म की टीम ने सत्य उजाकर करने के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। फिल्म के माध्यम से वास्तविक सच को एक बड़े रूप में देश के सामने लाने का प्रयास किया गया है।
सीएम योगी ने कहा कि मामला अयोध्या से जुड़ा है, मैं घटना में मारे गए सभी राम भक्तों को श्रद्धांजलि देता हूं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के साहसिक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए लोग इस सत्य को अधिक से अधिक देखें। सीएम योगी राज्य सरकार की ओर से ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा की।
इसके पहले सीएम योगी ने लखनऊ के प्लासियो मॉल के सिनेमाहॉल के ऑडी-07 में पूर्वाह्न 11:30 बजे के शो में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महापौर सुषमा खर्कवाल, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सहित अनेक अनेक जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन के अधिकारियों के साथ फ़िल्म देखी। खास मौके पर फ़िल्म के मुख्य अभिनेता विक्रांत मैसी और फ़िल्म यूनिट से जुड़े लोगों की मौजूदगी रही। इससे पहले, बीते मंगलवार को विक्रांत मैसी ने सीएम योगी से भेंट की थी।
बता दें कि ‘द साबरमती रिपोर्ट’ एक सत्य घटना पर आधारित एक बॉलीवुड ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन रंजन चांडेल द्वारा किया गया है। फिल्म में विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा लीड रोल में हैं। यह फिल्म साल 2002 में हुई साबरमती एक्सप्रेस की दिल दहला देने वाली घटना से प्रेरित है। एकता कपूर इस फिल्म की निर्माता है। 15 नवंबर को रिलीज हुई इस फिल्म की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी तारीफ की है।
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