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धांधली करने वाले अफसरों पर कभी नही हुई ठोस कार्रवाई

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कारागार विभाग के बंदीरक्षक भर्ती घोटाले, लखनऊ, फतेहगढ़ एवं वाराणसी जनपदों, जेल मंत्री के निजी सचिव

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बंदीरक्षकों की भर्ती का मामला
राकेश यादव
लखनऊ। कारागार विभाग के बंदीरक्षक भर्ती घोटाले में एक बार फिर लीपापोती करने की तैयारी चल रही है। फतेहगढ़ एवं वाराणसी जनपदों में पिछले दिनों बंदीरक्षकों की भर्ती में अनियमिताओं की शिकायत मिलने से दोनो जनपदों के नियुक्ति अधिकारियों को अन्यत्र स्थानों पर अटैच कर दिया गया। जेल मंत्री के निजी सचिव के सिफारिश नही मानने वाले इन अधिकारियों को अब आरोपों से बहाल कर इन्हें नये स्थान पर तैनाती दिये जाने की कवायद शुरू हो गयी है। ऐसा पहली बार नही हो रहा है। इसके पूर्व के भर्ती घोटालों में भी दोषी अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गयी। यह अलग बात है कि अफसर इस गम्भीर मसले पर टिप्पणी करने से बच रहे।

बीते जुलाई-अगस्त माह में केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ और वाराणसी में बंदीरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गयी इस प्रक्रिया के तहत फतेहगढ़ में 214 और वाराणसी में 175 बंदीरक्षक नियुक्ति किये गये। लम्बी चयन प्रक्रिया के बाद वाराणसी के सेन्ट्रल जेल के अधीक्षक संजय त्रिपाठी एवं फतेहगढ़ जेल के अधीक्षक वीपी त्रिपाठी ने चयनित बंदीरक्षकों का परीक्षाफल घोषित किया। परीक्षाफल घोषित होते ही शासन में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि दोनो जनपदों के परीक्षाफल में जेलमंत्री के निजी सचिव की ओर से सिफारिश किये गये नाम नही होने से अफरातफरी मच गयी। आनन-फानन में शासन ने कारागार मुख्यालय से दोनो जनपदों में हुई भर्ती में अनियमिताएं मिलने की शिकायत का हवाला देते हुए दोनो नियुक्ति अधिकारियों को वहां से हटाने का निर्देश दिया गया।

शासन के निर्देश पर हरकत में आये महानिरीक्षक कारागार ने फतेहगढ़ के जेल अधीक्षक वीपी त्रिपाठी को मेरठ परिक्षेत्र कारागार कार्यालय में और वाराणसी के अधीक्षक संजीव त्रिपाठी को गोरखपुर परिक्षेत्र कारागार कार्यालय से अटैच कर दिया गया। महानिरीक्षक कारागार ने अटैच किये गये इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाही किये जाने की संस्तुति की। वाराणसी में भर्ती के मामले की जांच इलाहाबाद जेल परिक्षत्र के डीआईजी संतोष श्रीवास्तव एवं फतेहगढ़ भर्ती के जांच लखनऊ परिक्षेत्र जेल के डीआईजी शरद कुलश्रेष्ठ को सौंपी गयी। सूत्र बताते है कि दोनो नियुक्ति अधिकारियों के खिलाफ चल रही विभागीय जांच प्रगति पर इसके साथ ही अटैच अधिकारियों को नये स्थान पर तैनाती देने की गुपचुप तैयारी हो रही है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि कारागार विभाग में हुए भर्ती घोटालों में ऐसा पहली बार नही हो रहा है। इससे पूर्व हुई भर्तियों में भी जमकर धांधलेबाजी की जा चुकी है। आगरा, बरेली, गोरखपुर एवं नैनी (इलाहाबाद) में हुई बंदीरक्षकों की भर्ती के मामलों में भी भारी अनियमिताएं की षिकायत मिली। इन अनियमिताओं की पहले विभागीय डीआईजी से जांच करायी गयी। जांच अधिकारियों से नियुक्ति अधिकारियों को क्लीन चिट मिलने पर शासन ने  इन जनपदों में हुई नियुक्तियों की जांच सीबीसीआईडी से कराये जाने का निर्णाय लिया। सीबीसीआईडी ने एक नियुक्ति अधिकारी के खिलाफ तो एफआईआर तक दर्ज करने का आदेष दिया लेकिन अनियमिताओं में लिप्त पाये गये इन अधिकारियों में से किसी के भी खिलाफ कोई प्रभावी कठोर कार्रवाई नही की गयी। उधर महानिरीक्षक कारागार देवेन्द्र सिंह चौहान कहते है कि डीआईजी की जांच रिपोट आने के बाद ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तय की जायेगी। जेलमंत्री बलराम यादव से काफी प्रयासों के बाद भी सम्पर्क नही हो सका।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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