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कैपगेन सम्मेलन : बाल स्वास्थ्य व चुनौतियों पर तीन दिन तक विमर्श
नई दिल्ली| समस्या अकेले कितनी भी बड़ी लगे, लेकिन साथ मिलकर आसानी से उसके हल को खोजा जा सकता है। इसी सोच के साथ भारत में राष्ट्रमंडल देशों के शिशु रोग विशेषज्ञों के 14वें वैज्ञानिक सम्मेलन में नौ देशों के शिशु रोग विशेषज्ञ, 350 से अधिक विशेषज्ञ और 70 अंतर्राष्ट्रीय फैकल्टी जुटे और बाल स्वास्थ्य को लेकर तमाम मुद्दों पर परिचर्चा की।
कॉमनवेल्थ एसोसिएशन ऑफ पीडिएट्रिक एंड गैस्ट्रोऐंट्रोलोजी एंड न्यूट्रीशन (कैपगेन) का 2-4 अक्टूबर के बीच आयोजन किया गया। भारत में इस सम्मेलन का आयोजन लगभग दो दशकों के बाद किया गया।
सम्मेलन की खास उपलब्धि यह रही कि तीन दिवसीय कैपगेन 2015 सम्मेलन में नौ देशों से आए शिशु रोग विशेषज्ञों को अपने वैज्ञानिक ज्ञान और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को अन्य विकासशील देशों से आए चिकित्सकों के साथ बांटने-समझने का अवसर मिला। इस प्रकार यह अवसर साथ मिलकर बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान की ओर कदम बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।
यह सम्मेलन विभिन्न देशों में बच्चों की वर्तमान स्वास्थ्य समस्याओं के संबंध में हो रहे अध्ययनों पर प्रकाश डालने के साथ ही युवा चिकित्सकों की जानकारी बढ़ाने और भविष्य में इस दिशा में नई खोजों के द्वार खोलने में भी मददगार होगा।
सम्मेलन में पीडिएट्रिक गैस्ट्रोऐंट्रोलोजी, हेपोटोलोजी एंड लिवर ट्रांसप्लांटेशन मेदांता की निदेशक डॉक्टर नीलम मोहन को कैपगेन 2015 सचिव चुना गया। भारत की पहली सचिव चुने जाने पर गौरवान्वित और उत्साहित डॉ. नीलम ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि साथ मिलकर वे इन समस्याओं के समाधान की नई राहें खोज पाएंगे।
बच्चों की स्वास्थ्य समस्याओं पर बात करते हुए डॉ. नीलम मोहन ने कहा, “बच्चों में कुपोषण की सबसे बड़ी समस्या के साथ ही कई अन्य समस्याएं हैं जो गरीबी से जूझ रहे राष्ट्रमंडल देशों के बच्चों के विकास और जीवन पर असर डाल रही है। विटामिन डी की कमी, सीलिएक रोग, कब्ज, जठरांत्र, यकृत रोग के कारण इन देशों में बच्चों की मृत्यु दर काफी अधिक है। समाज का एक बड़ा तबका इस बात से अनभिज्ञ है कि इन रोगों के कारण चार में से एक बच्चे की मृत्यु हो जाती है।”
उन्होंने कहा, “खान-पान की गलत आदतों के कारण बच्चों में मोटापे की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। अत्यधिक मोटापे के कारण 40 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों के यकृत पर गंभीर असर पड़ता है। पश्चिमी देशों जैसी राष्ट्रीय फूड फोर्टिफिकेशन नीति न होने की वजह से विटामिन डी महामारी के स्तर पर फैली हुई है और बढ़ते प्रदूषण के कारण यूवी किरणें बच्चों तक नहीं पहुंच पाती जिससे भविष्य में उनकी हड्डियों के कमजोर होने का खतरा बढ़ गया है।”
अतिसार रोग के कारण हर साल विकासशील देशों में लाखों बच्चों की मौत हो जाती है। इसी समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत सेंटर फॉर न्यूट्रिशन एंड फूड सिक्योरिटी, आईसीडीडीआर, ढाका के डायरेक्टर और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ तहमीद अहमद ने कहा, “दो दशकों पूर्व 40 प्रतिशत से अधिक बच्चों में अतिसार रोग के लिए किसी भी जीवाणु को पहचाना नहीं गया था, लेकिन जीवाणु की खोज की नए तकनीकों के कारण अब बच्चों की इस समस्या की जड़ को बेहतर ढंग से समझने में सफलता मिली है।”
उन्होंने कहा, “ग्लोबल एंटेरिक मल्टीसेंटर स्टडी (जेम्स) बेहद प्रभावी अध्ययन है जिसमें केस कंट्रोल अध्ययन की मदद से सात अफ्रीकी और एशियाई देशों में मध्यम से गंभीर अतिसार रोग (एमएसडी) पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्त बच्चों में कुपोषण की गंभीर समस्या पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है जिसके कारण विश्व भर में 1 करोड़ 65 लाख बच्चे अविकसित रह जाते हैं और उनकी जल्दी मृत्यु और अविकसित मस्तिष्क का खतरा बढ़ा जाता है। ”
कैपगेन की पूर्व अध्यक्ष कंस्लटेंट पीडिएट्रिशियन एंड गैस्ट्रोएंट्रोलोजी ब्रिस्टल रॉयल हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन ब्रिटेन की डॉ. भूपिंद्र संधू ने कहा, “यह एक ऐसा मौका है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने साथ मिलकर अपने ज्ञान को साझा किया और इसमें शामिल हर विशेषज्ञ बेहतर समझ के साथ लौट रहा है। हम किसी भी कॉमनवेल्थ देश की बात करें, उनकी समस्याएं एक जैसी हैं जिन्हें मिलकर सुलझाया जाना बेहद जरूरी है।”
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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।
स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,
एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ
कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी
डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।
On the move again, embarking on an exciting 4 nation book tour! 🇮🇳Looking forward to connecting with the vibrant Indian diaspora, celebrating India’s immense potential, and engaging in meaningful conversations. This journey is not just about a book; it’s about storytelling,… pic.twitter.com/dovNotUtOf
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 20, 2024
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