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भारतीय जीसैट-15 की लांचिंग पर निर्णय जल्द

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चेन्नई। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियनस्पेस भारतीय संचार उपग्रह जीसैट-15 के साथ एरियन5 रॉकेट की 10 नवंबर को प्रस्तावित लांचिंग के लिए इस शुक्रवार को अपनी प्रक्षेपण तैयारी की समीक्षा करेगा। एरियनस्पेस ने एक बयान में कहा है, “प्रक्षेपण तैयारी समीक्षा (एलआरआर) शुक्रवार छह नवंबर, 2015 को कौरू में शुरू होगी। इसके बाद अंतिम उलटी गिनती शुरू करने की प्रक्रिया को हरी झंडी मिल जाएगी।”

फिलहाल, एरियन5 रॉकेट फ्रेंच गुयाना के कौरू में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 10 नवंबर को शाम 6.34 बजे से 7.17 बजे के बीच या फिर 11 नवंबर को सुबह 3.04 बजे और 3.47 बजे के बीच अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरने वाला है। एरियनस्पेस के अनुसार, इस पूरे मिशन में 43 मिनट लगेंगे। रॉकेट अपने साथ 9,810 किलोग्राम वजन लेकर अंतरिक्ष में जाएगा, जिसमें दो उपग्रह -जीसैट-15 और अरबसैट-6बी- शामिल होंगे।

बयान में कहा गया है कि जीसैट-15 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित 18वां उपग्रह है और एरियनस्पेस द्वारा छोड़े जाने वाला 19वां अंतरिक्ष उपकरण है। यूरोपीय एजेंसी ने कहा है, “प्रयोगात्मक उपग्रह एपल की 1981 में फ्लाइट एल03 के जरिए लांचिंग के बाद से भूस्थैतिक लांच के 86 प्रतिशत ठेके एरियनस्पेस के पास आ गए, जिसकी निविदा भारत ने गैर भारतीय प्रक्षेपण प्रणालियों के लिए जारी की थी।” जीसैट-15 भारत को दूरसंचार सेवा के साथ ही समर्पित नौवहन सुविधा और आपात सेवाएं मुहैया कराएगा।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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