साइंस
नासा ने आईएसएस पर मानव उपस्थिति के 15 वर्ष का जश्न मनाया
वॉशिंगटन। अंर्तराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) पर मानव की उपस्थिति को दो नवंबर को 15 साल पूरे हो गए हैं। नासा इस अवसर का जश्न एक मनोरंजक संगीतमय वीडियो के साथ मना रहा है। वीडियो में अंतरिक्ष की कक्षा में मौजूद प्रयोगशाला केंद्र के बारे में दिलचस्प तथ्यों के विवरण हैं।
वीडियो में अंतरिक्ष केंद्र के बारे में विवरण शामिल हैं। लगभग 200 से अधिक लोग अंतरिक्ष केंद्र पर निवास कर चुके हैं। अब तक लगभग 1,700 वैज्ञानिक प्रयोग अंतरिक्ष केंद्र पर स्थित प्रयोगशाला में किए जा चुके हैं। व्हाइट हाउस कार्यालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति के निदेशक डॉ. जॉन होल्ड्रेन ने कहा कि आईएसएस एक अनूठी प्रयोगशाला है, जो जीव विज्ञान और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक अनुसंधान की सुविधा मुहैया कराने में सक्षम है और इसने प्रौद्योगिकियों के लिए एक परीक्षण मंच प्रदान किया है, जो नासा को एक बार फिर पृथ्वी की कक्षा से बाहर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में सक्षम बनाएगा।
उन्होंने एक बयान में कहा है, “केंद्र के निर्माण और रखरखाव के लिए अंर्तराष्ट्रीय भागीदारी इस बात का एक अनोखा उदाहरण है कि जब हम शांतिपूर्ण तरीके से मिलकर काम करते हैं तो यह मनुष्य जाति क्या कुछ कर सकती है?” उन्होंने कहा, “मैं नासा के और दुनियाभर के उन सभी पुरुषों और महिलाओं को बधाई देता हूं जिन्होंने इन 15 सालों के दौरान अंर्तराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को संचालित रखने के लिए कड़ी मेहनत की है।”
नासा के प्रशासक चार्ल्स बोल्डन ने कहा, “अंतरिक्ष केंद्र पर किया गया कार्य नासा की मंगल यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके जरिए 2030 के दशक में लाल ग्रह पर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री भेजा जाएगा।” उल्लेखनीय है कि 15 सालों से, मानवता की पहुंच पृथ्वी के वायुमंडल से आगे बढ़ी है।
साइंस
फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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